Diwali 2023 Date: धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर दीपावली पर्व मनाया जाता है और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस बार अमावस्या तिथि 1 नहीं बल्कि 2 दिन रहेगी। जानें किस दिन करें लक्ष्मी पूजा?
Ujjain facts: हमारे देश में कईं तरह की मान्यताएं हैं। इनमें से कुछ मान्यताएं विशेष स्थानों को लेकर भी है। मध्य प्रदेश में एक ऐसा शहर है जहां रात में रुकने से बड़े-बड़े नेता घबराते हैं। इसके पीछे एक पौराणिक कारण है।
PM Modi Sanwaliya Ji Darshan: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 अक्टूबर को राजस्थान के दौरे पर हें। इस दौरान वे कईं कार्यक्रमों में शामिल होंगे, इसी बीच मोदी ने सांवलिया सेठ के प्रसिद्ध मंदिर में दर्शन भी किए।
Sankashti Chaturthi 2023: प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी क व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान श्रीगणेश के साथ-साथ चंद्रमा की पूजा भी की जाती है। इस व्रत को करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
Kab se Shuru Hogi Shardiya Navratri: आश्विन मास के दूसरे पखवाड़े में शारदीय नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इन 9 दिनों में देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। धर्म ग्रंथों में इस पर्व का विशेष महत्व बताया गया है।
Pitru Paksha 2023: आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को पितृ और श्राद्ध पक्ष भी कहते हैं। इस बार पितृ पक्ष 29 सितंबर से शुरू हो चुका है, जो 14 अक्टूबर तक रहेगा। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण-पिंडदान आदि किए जाते हैं।
Controversy of the word Om in Nepal: भारत के पड़ोसी देश नेपाल में इन दिनों एक नया मुद्दा सामने आया है। यहां सरकारी डिक्शनरी में बदलाव के नाम पर ओम शब्द को हटाने की कोशिश की जा रही है, जिसे लेकर हिंदू धर्म के लोगों में काफी आक्रोश है।
Pitru Paksha 2023: इन दिनों श्राद्ध पक्ष चल रहा है, जिसे महालय भी कहते हैं। 16 दिनों तक चलने वाले इस श्राद्ध पक्ष में प्रतिदिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण-पिंडदान आदि किया जाता है। इससे जुड़ी कईं परंपराएं और मान्यताएं भी हैं।
Chandra Grahan Kab Hai: साल 2023 का दसवां महीना अक्टूबर शुरू हो चुका है। ये महीना धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से काफी खास रहने वाला है। इस महीने के अंतिम सप्ताह में साल 2023 की एक दुर्लभ घटना होने वाली है।
Kab Hai Kunwara Panchami: श्राद्ध पक्ष की पंचमी तिथि खास होती है। इसे कुंवारा पंचमी कहते हैं। धर्म ग्रंथों में इस तिथि का महत्व बताया गया है। इसे कुंवारा पंचमी इसलिए कहते हैं क्योंकि इस दिन अविवाहित स्थिति में मरे पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है।