दिलीप कुमार को थी बाइलेटरल प्ल्यूरल इफ्यूजन नाम की बीमारी, डॉ. ने बताया कितना खतरनाक है ये
वीडियो डेस्क। बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार का बुधवार सुबह करीब 7:30 बजे निधन हो गया। वे 98 साल के थे। उन्होंने मुंबई के हिंदुजा हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। दिलीप कुमार की तबीयत लंबे समय से ठीक नहीं थी। उन्हें कई बार हॉस्पिटल में भी भर्ती करना पड़ा था। दिलीप कुमार को पिछले एक महीने में दो बार अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। दिलीप कुमार के डॉक्टर जलील पारकर ने मीडिया से कहा, ‘दिलीप साहब उम्र से जुड़ी दिक्कतों का सामना कर रहे थे। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के डॉक्टर सव्यसाची गुप्ता ने बताया कि दिलीप कुमार बाइलेटरल प्ल्यूरल इफ्यूजन (फुफ्फुस बहाव) बीमारी से पीड़ित थे । जब आपके फेफड़े और चेस्ट कैविटी के बीच की खाली जगह में अतिरिक्त फ्लूइड (तरल पदार्थ) इकट्ठा हो जाता है, तो उसे प्ल्यूरल इफ्यूजन कहा जाता है। हालांकि, इस खाली जगह में सांस लेने-छोड़ने के दौरान फेफड़ों के खुलने और बंद होने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए हमेशा थोड़ा-बहुत तरल होता ही है। इस खाली जगह को प्ल्यूरा (Pleura) कहा जाता है। प्ल्यूरा एक पतली झिल्ली होती है, जो फेफड़ों के बाहरी और छाती की अंदरुनी परत के बीच होती है। जब प्ल्यूरल इफ्यूजन दोनों फेफड़े को प्रभावित करता है, तो उसे बाइलेटरल प्ल्यूरल इफ्यूजन कहा जाता है। वीडियो में डॉ से जाने कितनी खतरनाक बीमारी है ये।
वीडियो डेस्क। बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार का बुधवार सुबह करीब 7:30 बजे निधन हो गया। वे 98 साल के थे। उन्होंने मुंबई के हिंदुजा हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। दिलीप कुमार की तबीयत लंबे समय से ठीक नहीं थी। उन्हें कई बार हॉस्पिटल में भी भर्ती करना पड़ा था। दिलीप कुमार को पिछले एक महीने में दो बार अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। दिलीप कुमार के डॉक्टर जलील पारकर ने मीडिया से कहा, ‘दिलीप साहब उम्र से जुड़ी दिक्कतों का सामना कर रहे थे। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के डॉक्टर सव्यसाची गुप्ता ने बताया कि दिलीप कुमार बाइलेटरल प्ल्यूरल इफ्यूजन (फुफ्फुस बहाव) बीमारी से पीड़ित थे । जब आपके फेफड़े और चेस्ट कैविटी के बीच की खाली जगह में अतिरिक्त फ्लूइड (तरल पदार्थ) इकट्ठा हो जाता है, तो उसे प्ल्यूरल इफ्यूजन कहा जाता है। हालांकि, इस खाली जगह में सांस लेने-छोड़ने के दौरान फेफड़ों के खुलने और बंद होने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए हमेशा थोड़ा-बहुत तरल होता ही है। इस खाली जगह को प्ल्यूरा (Pleura) कहा जाता है। प्ल्यूरा एक पतली झिल्ली होती है, जो फेफड़ों के बाहरी और छाती की अंदरुनी परत के बीच होती है। जब प्ल्यूरल इफ्यूजन दोनों फेफड़े को प्रभावित करता है, तो उसे बाइलेटरल प्ल्यूरल इफ्यूजन कहा जाता है। वीडियो में डॉ से जाने कितनी खतरनाक बीमारी है ये।