India@75: जब बिलखते बच्चों पर टूटा अंग्रेजों का कहर, तब सन्यासियों-फकीरों ने उठाई तलवार

 ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी जबरन वसूली करते रहे। स्थानीय लोगों ने कंपनी अधिकारियों द्वारा  जबरन वसूली का विरोध शुरू कर दिया। तब सन्यासियों और फकीरों ने भी हथियार उठा लिए और विदेशी आक्रमणकारियों के खिलाफ उठ रही आक्रोशित जनता के साथ हो गए। 

| Updated : Aug 01 2022, 06:06 PM
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भारत के स्वतंत्रता संग्राम का प्रेरक अध्याय है जिसमें हिंदू भिक्षुओं और मुस्लिम फकीरों ने एक साथ हथियार उठाए और संयुक्त रूप से अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। ये आंदोलन कहलाया सन्यासी-फकीर विद्रोह। ये आंदोलन 18 वीं शताब्दी के दौरान बंगाल और बिहार के क्षेत्र में तीन दशकों तक चला। इस समय को  विनाशकारी बंगाल अकाल भी कहा गया। जिसमें 10 मिलियन लोग मारे गए थे। फसल की बर्बादी, अत्यधिक भूख और प्राकृतिक आपदा ने इस क्षेत्र में जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया था। इसके बावजूद  ईस्ट इंडिया कंपनी ने जबरन टैक्स वसूलने शुरू किए थे। यह विद्रोह उसी शोषणकारी नीति के खिलाफ था। जानिए क्या था सन्यासी-फकीर का आंदोलन। 
 

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