Video: राजस्थान का प्राचीन जीणमाता मंदिर, जहां पांडवों ने की पूजा... ओरंगजेब ने जलाई थी अखंड ज्योति

ओरंगजेब जब जीणमाता पहुंचा तो माता की शक्ति के आगे पस्त हो गया।  शक्ति मानकर ओरंगजेब ने घुटने टेके और अखंड ज्योत जलाने का प्रण लेकर दिल्ली दरबार में लौटा था। राजस्थान के सीकर में जीणमाता का मंदिर स्थित है। 

/ Updated: Sep 26 2022, 10:38 AM IST

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वीडियो डेस्क। नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। देशभर में देवी मां के कई शक्तिपीठ हैं। आज आपको बताते हैं राजस्थान के सीकर में स्थित मां जीणमाता के प्रसिद्ध मंदिर की महिमा। जिसका इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। प्राचीन कथाओं के अनुसार जीणमाता का स्थान नवदुर्गा में से प्रथम जयंती देवी का स्थल था। जहां पाण्डवों ने भी पूजा अर्चना की थी। करीब 1200 वर्ष पहले चूरू के राजा गंगों सिंह की कन्या जीवनी अपने भाई हर्ष से नाराज होकर इस स्थल पर कठोर तपस्या कर जयंती देवी में विलीन हो गई थी। कहानी ऐसी भी प्रचलित है कि मंदिरों को तोड़ता हुआ ओरंगजेब जब जीणमाता पहुंचा तो माता की शक्ति के आगे पस्त हो गया।  शक्ति मानकर ओरंगजेब ने घुटने टेके और अखंड ज्योत जलाने का प्रण लेकर दिल्ली दरबार में लौटा था। कहा जाता है कि दिल्ली दरबार से यहां तेल भेजा जाता था वो अखंड ज्योति आज भी मंदिर में जल रही है।