शरीर का 75% हिस्सा डिसेबल, फिर भी ऑपरेशन पर ऑपरेशन करते गए ये डॉक्टर साब, देखें हौंसला बढ़ाने वाला VIDEO
धरती के ‘भगवान’ कहे जाने वाले राजस्थान के भरतपुर जिले के डॉक्टर जगवीर सिंह को हर कोई सलाम कर रहा है। जो खुद चल फिर नहीं सकते। लगवाग्रस्त होने के चलते व्हीलचेयर पर हैं। लेकिन मरीजा का इलाज करने का ऐसा जुनून और जज्बा कि व्हीलचेयर पर बैठकर 55 ऑपरेशन कर चुके हैं। वह दूसरे के दर्द के आगे अपना दर्द भूल जाते हैं।
भरतपुर. डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है। क्योंकि वह अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरों को नई जिंदगी देते हैं। एक ऐसा मामला राजस्थान के भरतपुर से सामने आया है। जहां एक डॉक्टर जो खुद लकवाग्रस्त होने के बाद भी मरीजों के लिए देवदूत बन चुके हैं। उनकेशरीर का 75 % हिस्सा काम नही करता है। वह चल-फिर नहीं सकते हैं। इसके बावजूद भी उन्होने व्हीलचेयर पर बैठकर 55 ऑपरेशन कर दिए। आइए जानते हैं कौन हैं ये जिंदादिल डॉक्टर...
जानिए कैसे हादसे के शिकार हुए डॉक्टर
दरअसल, हम बात कर रहे हैं भरतपुर जिले के ऑर्थोपेडिक डॉक्टर जगवीर सिंह की। 14 महीने पहले डॉ जगवीर सिंह महाराष्ट्र के पुणे में आयोजित अप एंड डाउन हिल्स 200 किलोमीटर साइकिल रेस में घायल हो गए। जो अपनी साइकिल के साथ 70 किलोमीटर की स्पीड से पहाड़ी की ढलान से नीचे आए। अचानक खुद को कंट्रोल नहीं कर पाए और एक खंभे से टकरा गए। हादसे में डॉक्टर का शरीर के सीने का निचला हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया।
मरीजों के लिए खुद को संभालने लगे डॉक्टर साहब
इसके बाद करीब 5 महीने तक डॉक्टर का अमेरिका और भारत के विभिन्न शहरों में इलाज हुआ। लेकिन डॉक्टर ने खुद का सेल्फ कॉन्फिडेंस बरकरार रखा। हालांकि वह हादसे के बाद ज्यादा रिकवर नही हो पाए लेकिन व्हीलचेयर पर आ गए। इसके बाद उन्होंने व्हीलचेयर पर बैठकर ही मरीजों को ट्रीटमेंट करना शुरू कर दिया। और करीब 3 महीने बाद जून में उन्होंने व्हीलचेयर पर बैठकर ही अपने साथी डॉक्टर्स के साथ मिलकर ज्वाइंट रिप्लेसमेंट जैसे जटिल ऑपरेशन कर दिए। इसके बाद अब डॉक्टर ने हैंड साइकिलिंग भी शुरू कर दी है। जिसे वह अपने घर के आंगन में ही करते हैं।
हर कोई इनके जज्बे को करता सलाम
डॉक्टर का कहना है कि लोगों को मेरे व्हीलचेयर पर बैठने की बात के बजाए मेरे विल पावर को देखना चाहिए। क्योंकि जब तक आपके पास विल पावर है आप जिंदगी कोई किसी भी जंग को जीत सकते हैं। इंसान को काम करने का मौका और हौसला कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए।