Video: अब आसानी से साफ हो सकेगा दूषित पानी... काशी के वैज्ञानिकों ने गंगा की मिट्टी से किया शोध

वीडियो डेस्क। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) स्थित स्कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के शोधकर्ताओं ने दूषित पानी से हानिकारक कॉपर, निकेल और जिंक आयनों को साफ करने का आसान तरीके के शोध पर सफलता पायी है। शोधकर्ताओं ने अध्ययन में वाराणसी स्थित सामने घाट से गंगा मिट्टी और बेंटोनाइट मिट्टी का उपयोग करके सांचा तैयार किए। 

/ Updated: May 08 2022, 05:10 PM IST
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वीडियो डेस्क। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) स्थित स्कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के शोधकर्ताओं ने दूषित पानी से हानिकारक कॉपर, निकेल और जिंक आयनों को साफ करने का आसान तरीके के शोध पर सफलता पायी है। शोधकर्ताओं ने अध्ययन में वाराणसी स्थित सामने घाट से गंगा मिट्टी और बेंटोनाइट मिट्टी का उपयोग करके सांचा तैयार किए। तांबे, निकल और जस्ता आयनों को सोखने की क्षमता के लिए सांचे का परीक्षण किया गया था। सोखने की प्रक्रिया से पता चला कि प्रक्रिया के आधे घंटे के भीतर संतुलन हासिल कर लिया गया था। इस अध्ययन के लिए इष्टतम पैरामीटर 6 का पीएच, 50 मिलीग्राम/लीटर की प्रारंभिक धातु आयन एकाग्रता, 30 मिनट का संपर्क समय और 35°C का तापमान था। लैंगमुइर की अधिकतम सोखने की क्षमता 0.086 mg/g, 0.045 mg/g, और 0.021 mg/g Ni2+, Cu2+ और Zn2+ क्रमशःआयनों के लिये पाई गई। यह शोध इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एनवायरमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी (IJEST) में प्रकाशित हुआ है जिसका प्रकाशक स्प्रिंगर है । इस पत्रिका का प्रभाव कारक 3.083 है।