लखनऊ के सिविल अस्पताल का निरीक्षण करने सोमवार को सीएम योगी पहुंचे। किशोरों के वैक्सीनेशन पर डॉक्टरों से बात की। उन्होंने फ्रंट लाइन वर्कर्स का हौसला बढ़ाया। उन्होंने कहा, 'प्रदेश में 15-18 साल के बच्चों की संख्या 1 करोड़ 40 लाख है। उन्हें कोवैक्सीन दी जाएगी।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar pradesh) में सोमवार से 15 से 18 वर्ष तक के लोगों का वैक्सीनेशन (Vaccination) शुरू हो गया है। इसी बीच लखनऊ के सिविल अस्पताल (Civil hospital) का निरीक्षण करने सोमवार को सीएम योगी (CM yogi) पहुंचे। किशोरों के वैक्सीनेशन पर डॉक्टरों से बात की। उन्होंने फ्रंट लाइन वर्कर्स (Front line workers) का हौसला बढ़ाया। उन्होंने कहा, 'प्रदेश में 15-18 साल के बच्चों की संख्या 1 करोड़ 40 लाख है। उन्हें कोवैक्सीन दी जाएगी। वैक्सीनेशन के लिए यूपी में 2 हजार 150 केंद्रों बनाए गए हैं। लखनऊ में 39 केंद्र हैं। जहां 15-18 साल के लोगों को वैक्सीन की डोज दी जा रही है।'
सीएम योगी ने कहा, 'थर्ड वेव की आशंका है। ओमिक्रॉन तीव्र वैरिएंट है, लेकिन सेकेंड वेव की तुलना में यह बहुत हल्का वैरिएंट है। आमिक्रॉन से घबराने की जरुरत नही है। सेकेंड वेव में हमने महसूस किया था कि लोग बीमार होते थे, उन्हें रिकवर होने में 15 से 20 दिन लग जाते थे, लेकिन ओमिक्रॉन में ऐसा नहीं है। हमारे पास पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन है। हम 4 लाख टेस्ट करने की क्षमता रखते हैं। यूपी में अबतक omicron के केवल 8 मामले आए हैं।'
7500 कर्मचारी सिर्फ बच्चों के वैक्सीनेशन में लगाए गए
यूपी में 15 से 18 साल के किशोरों और किशोरियों को कोरोना वैक्सीनेशन की पहली डोज लगने की शुरुआत 3 दिसंबर को सुबह 9 बजे से हुई। सरकार ने अभी तक फिलहाल को-वैक्सीन की डोज लगाने की ही मंजूरी दी है। करीब 7500 डेडिकेटेड वैक्सीनेशन स्टॉफ सिर्फ बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए प्रदेश भर में लगाए गए है।
टीकाकरण केंद्र पर बच्चों के लिए अलग से बनेंगे बूथ
यूपी के स्टेट वैक्सीनेशन नोडल अफसर डॉ. अजय घई ने बताया, 'बच्चों को अभी सिर्फ को-वैक्सीन के ही टीके लगेंगे। यदि किसी केंद्र पर यह भी संभव नहीं होगा। तब हम उनके लिए अलग से लाइन लगाकर वैक्सीनेशन कराएंगे'। उन्होंने दावा किया कि को-वैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक के वैक्सीन के बच्चों पर ट्रायल रिजल्ट पहले ही जारी कर दिए हैं। घबराने वाली बात नहीं है। वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है और बच्चों के बेहद जरूरी है। यदि किसी का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है तो वह वैक्सीनेशन केंद्र पर जाकर ऑन स्पॉट रजिस्ट्रेशन कराकर वैक्सीन लगवा सकते हैं।
वैक्सीन ट्रायल में बच्चों में बनी 1.7 गुना ज्यादा एंटीबॉडी
बच्चों पर को-वैक्सीन के ट्रायल के राहत भरे परिणाम आए हैं। 2-18 साल के उम्र के बच्चों पर क्लिनिकल ट्रायल में बच्चों में वयस्कों की तुलना में करीब 1.7 गुना ज्यादा एंटीबॉडी बनीं। जानकारों की मानें तो बच्चों के लिए इसकी एफिकेसी 95% तक रह सकती है। दूसरे शब्दों में कहे तो बच्चों में वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ वयस्कों की तुलना में ज्यादा सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम हो सकती है।
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