अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर विशेष: क्यों शिक्षा के क्षेत्र में पीछे है भारत ? कितना जरूरी है साक्षर होना

साक्षरता दिवस विशेष: विश्वभर में 8 सितंबर को साक्षरता दिवस मनाया जाता है। हर साल मानव विकास और समाज के लिए उनके अधिकारों को जानने और साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए इसे मनाया जाता है। किसी भी देश काल परिस्थिति में शिक्षा ही वह ऐसी अलक है जिसके माध्यम से समाज देश को जागरूक करके उसे ऊंचाइयों पर ले जाकर विकसित किया जा सकता है। प्रसिद्ध अविष्कारक बेंजामिन फ्रैंकलिन ने कहा है किसी भी देश के लिए सबसे बेहतर निवेश है उसके शिक्षा क्षेत्र में किया गया निवेश होता है।  इसका उद्देश्य व्यक्तिगत, सामुदायिक और सामाजिक रूप से साक्षरता के महत्व पर प्रकाश डालना है। इस तरह के दिवसों के माध्यम से पूरी दुनिया में साक्षरता बढ़ाने के लिए काम किया जाता है। लोगों को संदेश दिया जाता है। आज भी विश्व में हजारों की संख्या में लोग निरक्षर है। इस दिवस को मनाने का मुख्य लक्ष्य विश्व में सभी लोगो को शिक्षित करना है। साक्षरता दिवस का उद्देश्य बच्चे, वयस्क, महिलाओं और बूढ़ों को साक्षर बनाना है। आखिर कैसे साक्षरता को जन जन तक पहुंचाया जाए।  भारत साक्षता में कहां खड़ा है हमने जाना शिक्षाविद डॉ श्रीजी सेठ से। 

अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस का इतिहास
यूनेस्को ने 7 नवंबर 1965 को ये फैसला लिया कि अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस हर साल 8 सितंबर को मनाया जाएगा जोकि पहली बार 1966 से मनाना शुरु हुआ। व्यक्ति, समाज और समुदाय के लिए साक्षरता के बड़े महत्व को ध्यान दिलाने के लिए पूरे विश्व भर में इसे मनाना शुरु किया गया। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए वयस्क शिक्षा और साक्षरता की दर को दुबारा ध्यान दिलाने के लिए इस दिन को खासतौर पर मनाया जाता है।
 

/ Updated: Sep 07 2020, 05:43 PM IST

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साक्षरता दिवस विशेष: विश्वभर में 8 सितंबर को साक्षरता दिवस मनाया जाता है। हर साल मानव विकास और समाज के लिए उनके अधिकारों को जानने और साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए इसे मनाया जाता है। किसी भी देश काल परिस्थिति में शिक्षा ही वह ऐसी अलक है जिसके माध्यम से समाज देश को जागरूक करके उसे ऊंचाइयों पर ले जाकर विकसित किया जा सकता है। प्रसिद्ध अविष्कारक बेंजामिन फ्रैंकलिन ने कहा है किसी भी देश के लिए सबसे बेहतर निवेश है उसके शिक्षा क्षेत्र में किया गया निवेश होता है।  इसका उद्देश्य व्यक्तिगत, सामुदायिक और सामाजिक रूप से साक्षरता के महत्व पर प्रकाश डालना है। इस तरह के दिवसों के माध्यम से पूरी दुनिया में साक्षरता बढ़ाने के लिए काम किया जाता है। लोगों को संदेश दिया जाता है। आज भी विश्व में हजारों की संख्या में लोग निरक्षर है। इस दिवस को मनाने का मुख्य लक्ष्य विश्व में सभी लोगो को शिक्षित करना है। साक्षरता दिवस का उद्देश्य बच्चे, वयस्क, महिलाओं और बूढ़ों को साक्षर बनाना है। आखिर कैसे साक्षरता को जन जन तक पहुंचाया जाए।  भारत साक्षता में कहां खड़ा है हमने जाना शिक्षाविद डॉ श्रीजी सेठ से। 

अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस का इतिहास
यूनेस्को ने 7 नवंबर 1965 को ये फैसला लिया कि अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस हर साल 8 सितंबर को मनाया जाएगा जोकि पहली बार 1966 से मनाना शुरु हुआ। व्यक्ति, समाज और समुदाय के लिए साक्षरता के बड़े महत्व को ध्यान दिलाने के लिए पूरे विश्व भर में इसे मनाना शुरु किया गया। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए वयस्क शिक्षा और साक्षरता की दर को दुबारा ध्यान दिलाने के लिए इस दिन को खासतौर पर मनाया जाता है।