'दिल्ली अभी दूर है' फकीर के मुंह से निकले ये शब्द हमेशा के लिए अमर हो गए

दिल्ली अभी दूर है। इसके इतिहास को जानने के लिए हमें जाना होगा सन 1320 में.... जब एक फकीर ने कहा था कि दुखी रहना इस संसार में अपना सबसे कीमती समय बर्बाद करना है। प्रेम के बिना आदमी बिना पंखों का पक्षी है। जिस फकीर ने अपने मुंह से ये शब्द कहे थे उन्होंने ही कहा था कि दिल्ली अभी दूर है।

/ Updated: Jan 06 2020, 07:29 PM IST

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वीडियो डेस्क। दिल्ली अभी दूर है। इसके इतिहास को जानने के लिए हमें जाना होगा सन 1320 में.... जब एक फकीर ने कहा था कि दुखी रहना इस संसार में अपना सबसे कीमती समय बर्बाद करना है। प्रेम के बिना आदमी बिना पंखों का पक्षी है। जिस फकीर ने अपने मुंह से ये शब्द कहे थे उन्होंने ही कहा था कि दिल्ली अभी दूर है। इन फकीर के बारे में कहा जाता है कि ये जो भी शब्द अपने मुंह से निकालते थे। वो सच हो जाते थे। वक्त तुगलक वंश का था। गयासुद्दीन तुगलक उस वक्त शासक था। और गयासुद्दीन तुगलक के शासन से लगभग 100 साल पहले एक बच्चे का जन्म हुआ था। नाम था निजामुद्दीन औलिया बचपन बेदह गरीबी में गुजरा। मां बीबी जुलेखा ने परिवरिश की मां से प्राप्त हुआ ज्ञान हमेशा काम आया। पढ़ने लिखने के शौकीन और बहुत ही आकर्षण व्यक्तित्व जिसका पास हर कोई अपने दुख लेकर को लेकर आता था। दूसरों के लिए जीवन जीया...ना किसी से डर था... ना कोई चिंता.... बे फिकिरी से जीते हुए ऐसे फीकर बन गए कि जहां रहे उस जगह का नाम भी उनके नाम से प्रसिद्ध हो गया। निजामुद्दीन..... पूरा नाम निजामुद्दीन औलिया.... यही वो फकीर थे जिन्होंने कहा था दिल्ली अभी दूर है। लेकिन वाक्य का मतलब क्या है... और क्यों उन्होंने कहा कि दिल्ली अभी दूर है। जबकि वो जानते थे कि उनके मुंह से निकला हर शब्द अमर हो जाता है। निजामुद्दीन औलिया का शहर में इतना नाम था कि गयासुद्दीन तुगलक तो परेशानी होने लगी थी। वो एक शब्द भी इन फकीर के बारे में सुनना नहीं चाहता था। सन 1325 में दिल्ली का शासक गयासुद्दीन तुगलक सोनारगांव की ल़ड़ाई जीतकर वापस आ रहा था। सोनार गांव आज के समय ढाका के पास स्थित है। जब गयासुद्दीन दिल्ली से करीब 70 किलोमीटर दूर रह गया तब गयासुद्दीन ने निजामुद्दीन औलिया को संदेशा भिजवाया कि दिल्ली में या तो सुल्तान रहेगा या फिर फकीर। फकीर के ऊपर दिल्ली की जनता का इतना प्रभुत्व था कि सुल्तान फकीर को सरे राह नहीं निकाल सकता था। जब निजामुद्दीन औलिया को सुल्तान का संदेश मिला तो फकीर ने शांत मन से कहा कि जाओ अपने सुल्तान से जाकर कहो कि हुनुज दिल्ली दूर अस्त जिसका मतलब था कि दिल्ली अभी दूर है। गयासुद्दीन दिल्ली से 70 किमी दूर अपनी जीत का जश्न मना रहा था। इस जश्न के लिए लकड़ियों का एक खेमा तैयार किया गया था। जश्न के दौरान ही एक हाथी इस खेमे से जा टकराया। लकड़ियों का ये खेमा सुल्तान के ऊपर गिर गया और सुल्तान की मृत्यु हो गई। और निजामुद्दीन की कही हुई बात सच साबित है। दिल्ली अभी दूर है का मतलब है मंजिल अभी दूर है। और तभी से ये कहावत प्रचलित हो गई।