आदिमानव की मस्तिष्क की संरचना का हो रहा अध्ययन, बीएचयू के कई विभाग संयुक्त रूप से कर रहा काम
बीएचयू में पुरा पाषाण काल के मानवों के मस्तिष्क के बारे में अध्ययन किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि विज्ञानी उस काल के मनुष्य के मस्तिष्क की संरचना और रूपरेखा को दर्शाने का प्रयास कर रहे हैं।
पुरा पाषाण काल के मानव यानी हमारे पूर्वजों के पूर्वजों का मस्तिष्क कैसा व कितना विकसित रहा होगा, शायद जल्द ही इस विषय पर कुछ नए व रोचक तथ्य सामने आएं। संभव है कि विज्ञानी उस काल के मनुष्य के मस्तिष्क की संरचना व रूपरेखा भी दर्शा सकें। जी हां, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के तंत्रिका विज्ञानी, पुरातत्वविद व जीन विज्ञानी मिलकर इस पर अध्ययन कर रहे।
उनका उद्देश्य है मानव मस्तिष्क की संरचना के क्रमिक इतिहास का अध्ययन और समय-समय पर हुए परिवर्तन तथा इसके कारणों की पड़ताल करना। इसमें माध्यम बने हैं। पुरा पाषाण काल के वे तमाम प्रस्तरों के हथियार। मानव दिमाग के विकास का इतिहास पत्थर के औजारों की संरचना बताएगा। बीएचएयू के न्यूरोलॉजी और पुरातत्व विभाग संयुक्त रूप से इस पर अध्ययन कर रहा है। स्वतंत्रता भवन में आयोजित न्यूरोकॉन कार्यशाला में दोनों विभाग ने संयुक्त रूप से इसका प्रजेंटेशन दिया।
न्यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. वीएन मिश्र ने बताया कि समय के साथ ही मानव के दिमाग का विकास हुआ है। मनुष्य की भांति जो पहला जीव था, उसका दिमाग मात्र 1.5 सीसी (क्रिनियल कैपेसिटी) का था। अभी करीब 1500 सीसी का है। यानी दिमाग का विकास करीब एक हजार गुना हुआ है। उन्होंने कहा कि हम लोग पत्थर के ई औजारों से सौ लाख साल पहले से लेकर अब तक का इतिहास खंगालेंगे। र इन औजारों को मुंगेर के पैसरा, वि चित्रकुट, बांदा, ललितपुर सहित अन्य ड इलाकों में चिह्नित किया गया है। उन्होंने कहा कि इस पर काफी विस्तृत काम हो उ रहा है। इस शोध में ख्यात न्यूरोलाजिस्ट प्रो. वीएन मिश्र, युवा पुराविद डा. जोश राफेल व ख्यात जीन विज्ञानी प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे तथा इन प्राध्यापकों के शोध छात्र शामिल हैं।