कोरोना के बाद धरती पर एक और बड़ा खतरा

वीडियो डेस्क। कोरोना वायरस से एक फायदा ये हुआ है कि प्रदूषण का स्तर बहुत कम हो गया है। और पर्यावर पहले की अपेक्षा अब ज्यादा साफ सुधरा है। वहीं ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार गैसों का उत्सर्जन भी घटा है। लेकिन इस बीच सूरज के लॉकडाउन में जाने से अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ गई है। सूरज के लॉकडाउन में जाने से धरती पर भीषण ठंड, सूखा और भूकंप की संभावना बढ़ जाती है।

/ Updated: May 16 2020, 06:14 PM IST
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वीडियो डेस्क। कोरोना वायरस से एक फायदा ये हुआ है कि प्रदूषण का स्तर बहुत कम हो गया है। और पर्यावर पहले की अपेक्षा अब ज्यादा साफ सुधरा है। वहीं ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार गैसों का उत्सर्जन भी घटा है। लेकिन इस बीच सूरज के लॉकडाउन में जाने से अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ गई है। सूरज के लॉकडाउन में जाने से धरती पर भीषण ठंड, सूखा और भूकंप की संभावना बढ़ जाती है।
अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने सूर्य के सतह पर होने वाली घटनाओं में अप्रत्याशित रूप से कमी दर्ज की है। वैज्ञानिक भाषा में इसे सोलर मिनिमम का नाम दिया गया है। इसके अलावा सूर्य का मैग्नेटिक फील्ड भी पहले से कमजोर हुआ है। इसके कारण ही सूर्य के सतह पर कास्मिक रेज होती है और गर्म हवाएं चलती हैं। सूरज की सतह पर सोलर स्पॉट में वृद्धि देखी जा रही है।
वैज्ञानिकों में भी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इससे डाल्टन मिनिमम जैसी घटना फिर से हो सकती है। बता दें कि डाल्टन मिनिमम के कारण 1790 से 1830 के दौरान धरती पर भारी तबाही देखने को मिली थी। इस कारण भयंकर ठंड से यूरोप में कई नदियां जम गईं थीं। किसानों की फसलें खराब हो गई थी। जबकि साल 1816 की जुलाई में यूरोप में भारी बर्फबारी देखने को मिली थी। धरती के कई हिस्सों में भूकंप-सूखा जैसी स्थिति भी बनी थी।
रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के वैज्ञानिकों ने बताया कि सूर्य की सतह पर प्रत्येक 11 साल में ऐसी घटनाएं देखने को मिलती हैं। यह प्रकृति का चक्र है, इससे घबराने की जरूरत नहीं है। कुछ दिनों में सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र अपने पुराने रूप में लौटा आएगा।