कई बार जिन रिश्तों के बारे में हम यह मान कर चलते हैं कि ये टूटने वाले नहीं हैं, उनकी बुनियाद इतनी कमजोर होती है कि वे जल्दी ही खत्म हो जाते हैं। तब लोगों को अचरज भी होता है कि ऐसा क्यों हुआ, लेकिन उन्हें ये पता नहीं होता कि ये रिश्ते दिल से नहीं, दिमाग से चल रहे थे।