सिर्फ खूबसूरती ही नहीं बल्कि एकाग्रता को भी बढ़ाती माथे की बिंदी, पुरूषों को लगाना चाहिए तिलक
हिंदू धर्म में अनेक परंपराएं प्रचलित हैं, जैसे- तुलसी की पूजा करना, सूर्य को अर्घ्य देना आदि। इन सभी परंपराओं के पीछे न सिर्फ धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक तथ्य भी छिपे हैं। आधुनिक विज्ञान भी इन परंपराओं से जुड़े फायदों को मानता है। ऐसी और भी अनेक परंपराएं हैं जो हमें किसी न किसी रूप में फायदा पहुंचाती हैं।
वीडियो डेस्क। हिंदू धर्म में अनेक परंपराएं प्रचलित हैं, जैसे- तुलसी की पूजा करना, सूर्य को अर्घ्य देना आदि। इन सभी परंपराओं के पीछे न सिर्फ धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक तथ्य भी छिपे हैं। आधुनिक विज्ञान भी इन परंपराओं से जुड़े फायदों को मानता है। ऐसी और भी अनेक परंपराएं हैं जो हमें किसी न किसी रूप में फायदा पहुंचाती हैं। आज हम आपको इसी परंपरा से जुड़े वैज्ञानिक फायदों के बारे में बता रहे हैं।
तिलक और बिंदी हमेशा ललाट यानी मस्तक के बीचों-बीच लगाई जाती है। इस स्थान पर आज्ञा चक्र होता है।
जब इस स्थान पर तिलक लगाते हैं तो वह जागृत हो जाता है। आज्ञा चक्र को ही विचारों की उत्पत्ति का केंद्र माना जाता है।
यहीं से क्रियात्मक चेतना का संचार समूचे मस्तिष्क में होता है। तिलक लगाने से एकाग्रता भी बढ़ती है और पॉजिटिव विचार मन में आते हैं।
मेडिकल साइंस के अनुसार, माथे के बीच में पीनियल ग्रन्थि होती है। जब यहां तिलक या बिंदी लगाई जाती है तो ये ग्रंथि तेजी से काम करने लगती है।
चंदन का तिलक लगाने से दिमाग में शीतलता बनी रहती है और मन की एकाग्रता बढ़ती है।