जानें आखिर कभी 14 जनवरी तो कभी 15 जनवरी को क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति
आखिर कभी 14 को तो कभी 15 जनवरी को मकरसंक्रांति क्यों मनाई जाती है। इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जा रही है। क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है। हम आपको बताते हैं। दरअसल 1900 से 1965 के बीच 25 बार मकर संक्रांति 13 जनवरी को मनाई गई थी। उससे भी पहले यह पर्व कभी 12 को तो कभी 13 जनवरी को मनाया जाता था। स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था। उनकी कुंडली में सूर्य मकर राशि में था यानी कि ये कहा जा सकता है कि उस समय 12 जनवरी को मकर संक्रांति थी।
वीडियो डेस्क। आखिर कभी 14 को तो कभी 15 जनवरी को मकरसंक्रांति क्यों मनाई जाती है। इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जा रही है। क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है। हम आपको बताते हैं। दरअसल 1900 से 1965 के बीच 25 बार मकर संक्रांति 13 जनवरी को मनाई गई थी। उससे भी पहले यह पर्व कभी 12 को तो कभी 13 जनवरी को मनाया जाता था। स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था। उनकी कुंडली में सूर्य मकर राशि में था यानी कि ये कहा जा सकता है कि उस समय 12 जनवरी को मकर संक्रांति थी। 20 वीं सदी में मकर संक्रांति 13-14 जनवरी को, वर्तमान में 14 जनवरी तो कभी 15 जनवरी को मनाई जा रही है। 21वीं सदी समाप्त होते-होते मकर संक्रांति 15-16 जनवरी को मनाई जाने लगेगी।
आखिर क्यों आता है मकर संक्रांति की तारीख में अंतर
दरअसल सूर्य हर महीने राशि परिवर्तन करता है। एक राशि की गणना 30 अंश की होती है। सूर्य एक अंश की लंबाई 24 घंटे में पूरी करता है। अयनांश गति में अंतर के कारण 71-72 साल में एक अंश लंबाई का अंतर आता है। अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से एक साल में 365 दिन व छह घंटे का होता है, ऐसे में प्रत्येक चौथा वर्ष लीप ईयर भी होता है। चौथे वर्ष में यह अतिरिक्त छह घंटे जुड़कर एक दिन होता है। इसी कारण मकर संक्रांति हर चौथे साल एक दिन बाद मनाई जाती है। यानि कि 14 की जगह 15 जनवरी को मनाई जा रही है।