'माता यूं हीं खुशियां लेकर आएं'... एक ऐलान और खिल उठे नवरात्रों में दुकानदारों के चेहरे, सुनिए क्या बोले

वीडियो डेस्क। 2 अप्रैल से नवरात्रि का पर्व शुरू हो रहा है। लेकिन माता के दरबार अभी से सज कर तैयार हो गए हैं। कोरोना ने नवरात्रों की जो चमक फीकी कर दी थी। वो चमक एक बार फिर जगमाग रही है। मंदिरों में घंटों की ध्वनि फिर से सुनाई देगी। माता के जयकारों से एक बार फिर ये भूमि पावन हो जाएगी। 

/ Updated: Mar 30 2022, 12:31 PM IST
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वीडियो डेस्क। 2 अप्रैल से नवरात्रि का पर्व शुरू हो रहा है। लेकिन माता के दरबार अभी से सज कर तैयार हो गए हैं। कोरोना ने नवरात्रों की जो चमक फीकी कर दी थी। वो चमक एक बार फिर जगमाग रही है। मंदिरों में घंटों की ध्वनि फिर से सुनाई देगी। माता के जयकारों से एक बार फिर ये भूमि पावन हो जाएगी। कोरोना के कारण जो प्रतिबंध लगाए थे वे भी अब दिखाई नहीं देते। एक बार फिर से दुकानदारों के चेहरे खिल उठे हैं। श्राइन बोर्ड ने मंदिरों में प्रसाद चढ़ाने की मंजूरी दे दी है। दुकानदार इसलिए खुश हैं कि अब उनकी रोजी रोटी से संकट हट गया है। कर्ज तले दब चुके दुकानदारों के लिए ये पर्व कितनी खुशियां लाया है खुद सुनिए ....

ये मंदिर है हरियाणा के पंचकूला में स्थित माता मनसा देवी का। नवरात्रि में यहां लाखों श्रृद्धालु माता के दरबार में हाजिरी लागने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन पिछले एक साल से मंदिर बंद था और कोरोना के कारण प्रसाद चढ़ाने पर प्रतिबंध। माता मनसा देवी मंदिर के आसपास प्रसाद बेचने वाले दुकानदारों की विनिती के बाद ये प्रतिबंध हटा दिया है। ना तो यहां मेला लगा था ना भीड़ के साथ श्रद्धालुओं के आने की अनुमति थी। दुकानदारों का कहना है कि अब कोरोना ना आए... माता हर साल ऐसे ही खुशियां लेकर और यूं ही मेला लगता रहे। लोगों ने हरियाणा सरकार का भी धन्यवाद किया है...

मंजूरी मिलने पर दुकानदार तो राहत महसूस कर ही रहे हैं। साथ ही सजे हुए ये बाजार भी नवरात्रों के फीके पड़े त्योहार में 4 चांद लगा रहे हैं। माता की मूर्तियां से लेकर माता का श्रृंगार और माता की चुनरी दुकानों की शोभा बड़ा रही है।  माता की चुनरिया भी हर दुकान पर सजी हुई आपको मिल जाएगी। नारियल और प्रसाद के लिए भी ऑर्डर दिये जा चुके हैं। इतना ही नहीं यही हाल उन दुकानदारों का भी है जो बच्चों के खिलौने और खाने पीनी की दुकान लगाते थे। कोरोना का प्रतिबंध हटा तो सब खुल गया। इन दुकानदारों के चेहरे तो खिल ही गए हैं।