India@75: बैरिस्टर जॉर्ज जोसेफ जिन्होंने इंडियन ट्राइबल्स की ओर से कानून लड़ाई लड़ी

जोसेफ का 50 वर्ष की आयु में 1938 में मदुरै में निधन हो गया। वे प्रख्यात पत्रकार पोथेन जोसेफ के भाई थे। वह महिलाओं के अधिकारों और अंतर्धार्मिक विवाहों के मुखर समर्थक थे। जोसेफ का 50 वर्ष की आयु में 1938 में मदुरै में निधन हो गया। 

/ Updated: Jul 28 2022, 04:27 PM IST

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वीडियो डेस्क। केरल में रहने वाले बैरिस्टर जॉर्ज जोसेफ जो लोगों के लिए रोसापू दुरई थे। वह बैरिस्टर जॉर्ज जोसेफ थे। वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और प्रसिद्ध बैरिस्टर थे। साथ ही वे प्रख्यात संपादक भी थे। जॉर्ज गांधी के प्रिय साथी थे। जोसेफ का जन्म 1887 में केरल के चेंगन्नूर में हुआ था। जब वे इंग्लैंड में कानून के छात्र थे, तब वे मैडम कामा, कृष्ण वर्मा, वी डी सावरकर आदि जैसे भारतीय राष्ट्रवादियों के संपर्क में आए। भारत लौटने पर जॉर्ज जोसेफ ने पहले चेन्नई और फिर मदुरै में बैरिस्टर के रूप में कानून की प्रैक्टिस शुरू कर दी। वे होमरूल आंदोलन में भी सक्रिय रहे। मदुरै में उन्होंने पिरामलाई कल्लार जनजाति का मुद्दा उठाया। यह जनजाति ब्रिटिश सरकार के आपराधिक जनजाति अधिनियम के खिलाफ लड़ रही थी, जिसकी वजह से पूरे पिरामलाई कल्लार समुदाय को अपराधी बना दिया गया था।