नाग पंचमी पर एक बार कर लिए भगवान के इस स्वरूप के दर्शन, तो मिल जाएगी हर भय से मुक्ति

वीडियो डेस्क। महाकालेश्वर मंदिर में स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर के पट परंपरा अनुसार रात्रि 12 बजे खोल दिए गए। महानिर्वाणी अखाड़े के महंत ने भगवान नागचंद्रेश्वर का पूजन अर्चन किया उसके बाद मन्दिर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया। नाग चन्द्रेश्वर मन्दिर का पट वर्ष में एक बार नागपंचमी पर ही खोला जाता है जो कि 24 घण्टे तक खुला रहता है। महाकाल मंदिर के शीर्ष पर भगवान नागचंद्रेश्वर का अति प्राचीन मंदिर हे।

/ Updated: Jul 25 2020, 03:45 PM IST

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वीडियो डेस्क। महाकालेश्वर मंदिर में स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर के पट परंपरा अनुसार रात्रि 12 बजे खोल दिए गए। महानिर्वाणी अखाड़े के महंत ने भगवान नागचंद्रेश्वर का पूजन अर्चन किया उसके बाद मन्दिर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया। नाग चन्द्रेश्वर मन्दिर का पट वर्ष में एक बार नागपंचमी पर ही खोला जाता है जो कि 24 घण्टे तक खुला रहता है। महाकाल मंदिर के शीर्ष पर भगवान नागचंद्रेश्वर का अति प्राचीन मंदिर हे। इस मंदिर में नाग पर विराजत शिव पार्वती की अति दुर्लब मूर्ति हे। मान्यता है की मंदिर में नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा के दर्शन और पूजन से शिव पार्वती दोनों ही प्रसन्न होते हे साथ ही सर्प भय से भी मुक्ति मिलती हे। नागपंचमी पर नाग को दूध पिलाने की भी परंपरा हे इसलिए पूजन अर्चन के दौरान महंत द्वारा नाग की प्रतिमा पर दूध चढाया गया। उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मन्दिर में स्थित मूर्ति 11 वी शताब्दी के परमार काल की है। नागचंद्रेश्वर मंदिर में स्थापित प्रतिमा में शेषनाग की सैय्या पर भगवान शिव तथा पार्वती के साथ भगवान गणेश और कार्तिक भी विराजित है। बताया जाता है की यह प्रतिमा नेपाल से लाई गई थी।