कोरोना: पत्थर रोटियों को पानी से भिगोकर खाने को मजबूर बचपन

वीडियो डेस्क। थाली और पानी में रोटी के टुकड़ों को डालकर इन बच्चों के मुंह में चुगाती ये मां भारत की बेबसी और संकट को बयां कर रही है। भूख से बिलखते बच्चों के लिए जब मां के पास कोई रास्ता नहीं बचा तो रूखी सूखी रोटी पानी में गलाकर इन दूध पीते बच्चों को खिला दी।  इस तस्वीर को देखने के लिए पत्थर का कालेजा चाहिए। क्यों कि ये वे रोटी हैं जो धूप में सुखाई गई हैं। पत्थर हो चुकी इन रोटियों को ये मासूम कैसे निगल रहे होगें ये सवाल आपको जरूर कचोटेगा। 

/ Updated: Apr 24 2020, 10:31 AM IST
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वीडियो डेस्क। थाली और पानी में रोटी के टुकड़ों को डालकर इन बच्चों के मुंह में चुगाती ये मां भारत की बेबसी और संकट को बयां कर रही है। भूख से बिलखते बच्चों के लिए जब मां के पास कोई रास्ता नहीं बचा तो रूखी सूखी रोटी पानी में गलाकर इन दूध पीते बच्चों को खिला दी।  इस तस्वीर को देखने के लिए पत्थर का कालेजा चाहिए। क्यों कि ये वे रोटी हैं जो धूप में सुखाई गई हैं। पत्थर हो चुकी इन रोटियों को ये मासूम कैसे निगल रहे होगें ये सवाल आपको जरूर कचोटेगा। 
ये वो तस्वीरें हैं जो बता रही है कि भूख क्या होती है। इस झोंपड़ी में दिन और रात तो कट रहे हैं लेकिन भूख है कि तिल तिल मारे जा रही है। घर से बाहर निकलते हैं तो कोरोना का डर सताता है और नहीं निकलते हैं तो बच्चों का चेहेरा देख कलेजा मुंह को आता है। वक्त के आगे ये मजदूर माता पिता मजबूर हैं। इन बच्चों की मां संगीता बताती है जो कुछ भी पैसे और राशन था वो लॉकडाउन के बाद 1 हफ्ते में ही खत्म हो गया। मदद में जो रोटी मिली वो धूप में सुखा ली जिससे आज सांस मिल रही है।
कोरोना से त्रस्त हो रहे मध्यप्रदेश के छतरपुर की ये तस्वीर है। जिसने आपको झकझौर दिया होगा। और ये सिर्फ एक परिवार की कहानी नहीं है। ये उन तमाम दिहाड़ी मजदूरों का दर्द है जो इस कोरोना काल में भूख और गरीबी की परीक्षा ले रहा है। खैर जब कुछ समाज सेवियों को संगीता के दर्द का आभास हुआ तो मदद के लिए कई हाथ उठ गए। संगीता के घर राशन पहुंचाया ताकि ये गरीब परिवार इस लॉकडाउन में अपने कठिन समय को गुजार सके। संकट की घड़ी में आप भी लोगों की मदद करिए और ये सुनिश्चित करिए कि इन बच्चों का भविष्य आज से बेहतर हो।