धारावी: 15 लाख लोगों की आबादी और हर घंटे संक्रमित होता एक व्यक्ति

वीडियो डेस्क। तंग संकड़ी गलिया, एक दूसरे से सटे हुए घर, लाखों की आबादी और बंद कमरों में गुजर बसर करता मुंबई का एक तबका। ये धारावी है। मुंबई के भीरत बसा एक और शहर। जो कभी नहीं सोता। विश्व की सबसे बड़ी झुग्गी बस्तियों में से एक धारावी जो फिल्मों और लेखकों का पसंदीदा मुद्दा और लोकेशन है। इतना पसंदीदा कि मुंबई में धारावी के लिए स्लम टूरिज्म होता है।

/ Updated: Apr 21 2020, 12:19 PM IST
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वीडियो डेस्क। तंग संकड़ी गलिया, एक दूसरे से सटे हुए घर, लाखों की आबादी और बंद कमरों में गुजर बसर करता मुंबई का एक तबका। ये धारावी है। मुंबई के भीरत बसा एक और शहर। जो कभी नहीं सोता। विश्व की सबसे बड़ी झुग्गी बस्तियों में से एक धारावी जो फिल्मों और लेखकों का पसंदीदा मुद्दा और लोकेशन है। इतना पसंदीदा कि मुंबई में धारावी के लिए स्लम टूरिज्म होता है।
इन गलियों से गुजरते हुए आप जगमगाते शहरों की रोशनी को चीरते हुए एक अंधेरे से मिलेंगे। जहां हंसी खुशी और गम का मिलन एक साथ होता है। अगर मुंबई का जिक्र हो और धारावी का जिक्र ना हो ऐसा नहीं हो सकता। 15 लाख लोगों की आबादी। और इस वक्त ये 15 लाख लोग मुंबई का भविष्य तय करेंगे। भविष्य इसलिए क्यों कि कामगारों की एक बड़ी संख्या यहां से ही आती है। यहां दस हजार से ज्यादा मैन्युफैक्चिरिंग यूनिट्स हैं जो कि बंद पड़े है। यहां घर-घर में जींस, रेडीमेड कपड़े, लेबलिंग, प्लास्टिक और लैदर का होलसेल काम होता है और फैक्ट्रियां चलती हैं। 

क्यों फैल रहा है कोरोना
जिस कोरोना से पूरी दुनिया त्राहिमाम कर रही है वो कोरोना वायरस इन गलियों को चीरता हुआ यहां के लोगों की रगों में पनपने लगा है। और इस बढ़ते प्रकोप का सबसे बड़ा कारण है सोशल डिस्टेंगिंस। जो यहां रहने वाले लोग नहीं कर रहे हैं। इसकी एक वजह ये भी है कि इन लोगों को आने वाले खतरे का आभास भी नहीं है। मुंबई में लगातार बढ़ते आंकड़े चिंता का विषय बनते जा रहे हैं। हर रोज 20 से 30 लोग इस धारावी झुग्गी से संक्रमित पाए जा रहे हैं। अगर इसको अभी नहीं रोका गया तो आने वाले वक्त में ये मुंबई में तबाही मचा देगा। लेकिन सबसे बड़ा सवाल दस फीट के कमरे में रहने वाले 8 से 10 लोग सोशल डिस्टेंस कैसे करें। इतना ही नहीं यहां की 73 फीसदी आबादी पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करती है। किसी टायलेट में 40 सीट होती हैं, कहीं 12 और कहीं 20 सीट वाले टॉयलेट होते हैं। यानि कि तकरीबन एक सीट को रोज 60 से 70 लोग इस्तेमाल करते हैं। अब सवाल उठता है कि इन सबके बीच सोशल डिस्टेंस कैसे संभव हो। क्यों कि जिस वक्त पूरा देश घर के अंदर होता है उस वक्त ये लोग घरों के बाहर होते हैं। 

भूख ने तोड़ी लोगों की कमर
कोरोना लोगों की नाक में नकेल कस रहा है। लेकिन इस कोरोना के बीच इन लोगों की कमर भूख ने तोड़ दी है। बिना काम के दो वक्त की रोटी अपने और अपने परिवार के लिए जुगाड़ कर पाना इन लोगों को कोरोना के संकट से ज्यादा बड़ा दिख रहा है। और भूख ऐसी है जो हर नियम और कानून को तोड़ देती है। जिससे कोरोना यहां अपना घर बनाता जा रहा है। अब जरूरत है सरकार इस संक्रमण को रोकने लिए ज्यादा से ज्याद टैस्ट करें और लोगों को संक्रमण के खतरे से बचाए।