हाइपोथर्मिया ने ली 112 बच्चों की जान, जानें कितनी खतरनाक है ये बीमारी
राजस्थान में बच्चों की मौत का आंकड़ा कम होने का नाम नहीं ले रहा है। अब तक 112 बच्चों की मौत जे के लोन अस्पताल में हो चुकी है।
1 हाइपोथर्मिया का मतलब होता है शरीर का तापमान असंतुलित हो जाना। जिसकी वजह से बच्चों की मौत हो जाती है।
2 हाइपोथर्मिया एक ऐसी स्थिति है जब तापमान 95 F यानि कि 35 डिग्री सेल्सियस से कम हो जाता है।
3 शरीर के तापमान को फेरनहाइट में मापा जाता है। लेकिन यहां बच्चों का तापमान सामान्य से 2 डिग्री यानि की 37 से 25 डिग्री हो गया जो बच्चों की मौत का कारण बना।
4 अस्पताल प्रशासन के पास बच्चों के इलाज के लिए बुनियादी सुविधाओंं की कमी हैं।
5 अस्पताल में स्टॉफ की कमी भी बच्चों की मौत की वजह है। एनआईसीयू में कुल 24 बेड के लिए 12 स्टाफ़ उपलब्ध हैं। जबकि भारत सरकार के नियमों के मुताबिक़, 12 बेड पर कम से कम 10 कर्मचारी तैनात होने चाहिए।
6 मासूम सर्दी से ठिठकते रहे और अस्पताल प्रशासन के पास कोई भी ऐसे उपकरण नहीं थे जिससे कि बच्चों की जान बचाई जा सके।
7 71 वॉर्मरों में से 44 ख़राब हैं। जो वार्मर बच्चों को गर्म करने के लिए लगाए गए उनमें कमी होती गई और बच्चों के तापमान में गिरावट जारी रही।
8 अस्पताल में ऑक्सीजन पाइपलाइन भी नहीं थी। जिसकी वजह से बच्चों की मौत का आंकड़ा थमा नहीं।
9 इतना ही नहीं अस्पताल के आईसीयू वार्ड के हालत भी बद से बदतर थे। बच्चों को सही सुविधा नहीं मिली।
10 मरने वाले बच्चों में 60 बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने इसी अस्पताल में जन्म लिया था।
राजस्थान सरकार ने बच्चों की मौत के बढ़ते आंकड़ों पर एक पैनल का गठन किया था। जिसकी रिपोर्ट में इन बातों को बताया गया है।