निराहार रहना, जमीन पर सोना, स्नान करना और पूजा करना ही नहीं है कल्पवास, जानें कैसा होता है जीवन
देशभर में मकर संक्रांति का पर्व मनाया गया। वहीं आध्यात्म की नगरी प्रयागराज में मकरसंक्रांति के मौके पर श्रृद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। आपको बता दें कि आज यानि के मकर संक्रांति से कल्पवास शुरू होता है। कल्पवास एक महीने तक चलता है। इस दौरान श्रृद्धालु अपना पूरा समय पूजा पाठ में व्यतीत करते हैं।
वीडियो डेस्क। देशभर में मकर संक्रांति का पर्व मनाया गया। वहीं आध्यात्म की नगरी प्रयागराज में मकरसंक्रांति के मौके पर श्रृद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। आपको बता दें कि आज यानि के मकर संक्रांति से कल्पवास शुरू होता है। कल्पवास एक महीने तक चलता है। इस दौरान श्रृद्धालु अपना पूरा समय पूजा पाठ में व्यतीत करते हैं। कल्पवास में सांसारिक मोह माया को त्यागना होता है। इस दौरान एक महीने तक जमीन पर शयन करना और एक समय भोजन किया जाता है। कल्पवास उनके लिए है जिन्होंने अपने ग्रहस्थ जीवन के 50 साल पूरे कर लिए हों।