हमेशा माता पिता और पत्नी का मिला साथ, जानें कैसा रहा केजरीवाल का मुख्यमंत्री तक का सफर
वीडियो डेस्क। साल 2015 में दिल्ली विधानसभा में 70 में से 67 सीटों पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार जीतकर आए थे और इस जीत के मुखिया थे अरविंद केजरीवाल। अन्ना आंदोलन से देश की राजनीति में उतरे केजरीवाल IRS की नौकरी छोड़कर समाजसेवा की राह पर निकले। अन्ना हजारे का आंदोलन उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट था। और यही वो समय था जब पूरे देश में अवरिंद केजरीवाल लोगों के मसीहा के रूप में बनकर उभरे थे।
वीडियो डेस्क। साल 2015 में दिल्ली विधानसभा में 70 में से 67 सीटों पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार जीतकर आए थे और इस जीत के मुखिया थे अरविंद केजरीवाल। अन्ना आंदोलन से देश की राजनीति में उतरे केजरीवाल IRS की नौकरी छोड़कर समाजसेवा की राह पर निकले। अन्ना हजारे का आंदोलन उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट था। और यही वो समय था जब पूरे देश में अवरिंद केजरीवाल लोगों के मसीहा के रूप में बनकर उभरे थे।
राजनीति में उन्होंने कदम रखा साल 2012 में जब उन्होंने अपनी एक अलग पार्टी बनाई। जिसका चुनाव चिंह रखा झाडू और नाम रखा आम आदमी पार्टी। केजरीवाल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे थे उनके सहयोगी मनीष सिसोदिया। साल 2013 में दिल्ली के विधानसभा चुनाव हुए और केजरीवाल को पहली बार में 28 सीटों पर जीत मिली। इतना ही नहीं तत्कालीन मुख्यमंत्री शिला दीक्षित को केजरीवाल ने बड़े अंतर से हराया। केजरीवाल ने कंग्रेस के साथ गंठबंधन कर सरकार बनाई लेकिन ये सरकार महज 49 दिन तक ही चल पाई। जिसके बाद अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया।
2013 में 28 सीटों पर सिमटी आप 2015 में फिर से मैदान में उतरी और दिल्ली में कांग्रेस का सूपड़ासाफ करते हुए 70 में 67 सीटों पर काबिज हुई। और अरविंद केजरीवाल एक बार फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री बने।
हरियाणा के हिसार में जन्मे अरविंद केजरीवाल तीन भाई बहनों में सबसे बड़े हैं। पिता गोविंद और माता का नाम गीता है। किसी भी बड़े मौके पर केजरीवाल अपने माता पिता का आशिर्वाद लेना नहीं भूलते....फिर चाहे नामकंन दर्ज कराने की बात हो या फिर वोट डालने की बात। दिल्ली की जनता का साथ तो केजरीवाल को मिला ही लेकिन उनके इस संघर्ष में हमेशा साथ रहीं उनकी पत्नी सुनीता। सुनीता भी आईआरएस अधिकारी रह चुकी हैं। केजरीवाल की पत्नी तो हैं ही उनकी सबसे अच्छी दोस्त भी हैं।
सामाजिक कार्य करने की चाहत को पूरा करते हुए केजरीवाल ने अपनी नौकरी छोड़ी। इतना हीन नहीं सरकारी कामों में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए केजरीवाल ने 'सूचना का अधिकार' के लिए काम किया. इसके लिए उन्हें वर्ष 2006 में मैग्सायसाय पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।