जानिए, आखिर क्यों इस बार 15 जनवरी को मनाई जाएगी मकर संक्रांति, और क्या है महत्व

हर बार 14 जनवरी को मनाया जाने वाला मकर संक्रांति पर्व इस बार 15 जनवरी को मनाया जाएगा। 

/ Updated: Jan 02 2020, 08:00 PM IST

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हर बार 14 जनवरी को मनाया जाने वाला मकर संक्रांति पर्व इस बार 15 जनवरी को मनाया जाएगा। ऐसा इसलिए क्यों कि सूर्यदेव 14 जनवरी की रात 2 बजकर 8 मिनिट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही उत्तरायण प्रारंभ हो जाएगा। सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने का पर्व संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी सुबह से शुरू होगा। हालांकि, कई जगहों पर पंचांग भेद होने की वजह से 14 जनवरी को भी ये पर्व मनाया जाएगा, लेकिन मंदिरों और अन्य स्थानों पर संक्रांति उत्सव और दान-पुण्य 15 जनवरी की सुबह से ही किया जाएगा।
मकर संक्रांति पर दान और स्नान का विशेष महत्व
मकर संक्रांति पर मुख्य रूप से अन्न दान, तीर्थ स्नान, गंगा स्नान और दान पुण्य करना चाहिए। मंदिरों सहित गरीब, निर्धन और निराश्रित लोगों को कपड़े, भोजन, कंबल, जरूरत की चीजें और गायों को हरा चारा दान करने पुण्य मिलता है। इस पर्व के दिन से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं।
इसलिए बन रहा है ऐसा योग
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं प्रवीण द्विवेदी के अनुसार ज्यादातर हर साल 14 दिसंबर से लेकर 14 जनवरी तक मलमास की अवधि रहती है। लेकिन इस बार ज्योतिषीय आंकड़ों के अनुसार मलमास 16 दिसंबर से शुरू हुआ है।
सूर्य बारह राशियों में भ्रमण करते हुए इस बार 16 दिसंबर को दोपहर 3 बजकर 28 मिनट पर धनु राशि में प्रवेश कर गया है और 14 जनवरी रात तक यहीं रहेगा। इस दौरान एक महीने तक मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।
सूर्य जब धनु राशि में होता है, तो उस समय को मलमास कहते है। तिल से निर्मित वस्तुओं के दान का खास महत्व, अन्न दान, तीर्थ स्नान, गंगा स्नान करना उत्तम माना जाता है। मकर सक्रांति के दिन तिल से निर्मित वस्तुओं के दान का खास महत्व बताया गया है।