18 साल से सिर्फ 4 दिन छोटा था युवक, जान लेने पर भी नहीं हुई सजा

2016 में एक तेज रफ्तार मर्सिडीज बेन्ज कार ने एक नवयुवक को कुचल दिया था। इस हादसे में उस युवक ने अपनी जान गंवा दी थी। कार चालक की उम्र 18 साल से चार दिन कम थी। पिता की कार चलाने को लेकर उस पर पहले तीन बार ट्रैफिक उल्लंघन के लिए जुर्माना लग चुका था।
 

/ Updated: Jan 10 2020, 11:43 PM IST

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2016 में एक तेज रफ्तार मर्सिडीज बेन्ज कार ने एक नवयुवक को कुचल दिया था। इस हादसे में उस युवक ने अपनी जान गंवा दी थी। कार चालक की उम्र 18 साल से चार दिन कम थी। पिता की कार चलाने को लेकर उस पर पहले तीन बार ट्रैफिक उल्लंघन के लिए जुर्माना लग चुका था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आरोपी को एक दिन भी जेल में नहीं रखा जाएगा। उसके साथ नाबालिग की तरह बर्ताव होगा। दोषी पाए जाने के बाद भी उसे निगरानी में रखा जाएगा।

जबकि जुवेनाइल बोर्ड ने माना था कि दोषी को वयस्क माना जाना चाहिए। उसकी मानसिक क्षमता को देखते हुए यह मानना चाहिए कि उसे पहले से नियमों के बारे में जानकारी थी। इसके बावजूद दिल्ली हाईकोर्ट ने बोर्ड की दलीलों के खिलाफ फैसला सुनाया। मृतक युवक सिद्धार्थ की 32 साल की बहन ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।