पहले बेटे की मौत फिर लूट, ना मय्यत नसीब हुई ना तेरहवीं, दर्दनाक है रामपुकारा की कहानी
वीडियो डेस्क। कोरोना ने पूरी दुनिया पर कहर बरपाया हुआ है। लेकिन इस लॉकडाउन ने गरीब और मजदूरों की कमर तोड़ दी है। लाखों प्रवासी मजदूर अपने घरों के लिए पैदल ही निकल पड़े हैं। सोशल मीडिया इस प्रवासी मजदूरों की तस्वीरों से भरा पड़ा है। उन्हीं में से एक हैं रामपुकार। बिहार के बेगूसराय के रहने वाले रामपुकारा दिल्ली में मजदूरी करते थे। लॉकडाउन के बाद वे दिल्ली में ही फंसे रह गए।
वीडियो डेस्क। कोरोना ने पूरी दुनिया पर कहर बरपाया हुआ है। लेकिन इस लॉकडाउन ने गरीब और मजदूरों की कमर तोड़ दी है। लाखों प्रवासी मजदूर अपने घरों के लिए पैदल ही निकल पड़े हैं। सोशल मीडिया इस प्रवासी मजदूरों की तस्वीरों से भरा पड़ा है। उन्हीं में से एक हैं रामपुकार। बिहार के बेगूसराय के रहने वाले रामपुकारा दिल्ली में मजदूरी करते थे। लॉकडाउन के बाद वे दिल्ली में ही फंसे रह गए। 11 मई को उनके पास खबर आई कि उनका 1 साल का बेटा इस दुनिया में नहीं रहा बेटे की खबर सुनते ही रामपुकारा पैदल ही घऱ की तरफ निकल गए। लेकिन उन्हें दिल्ली यूपी बॉर्डर पर रोक दिया गया। जिसके बाद किसी ने मदद के नाम पर उनके साथ लूटपाट भी की। बेबस लाचार रामपुकारा के पास ना तो स्मार्ट फोन था ना पैसे। ऐसे में एक समाज सेवी महिला ने उनकी मदद की। उनकी ये फोटो जो वायरल हुई थी ये उसी दौरान खींची गई थी। रामपुकारा श्रमिक ट्रेन से बिहार पुहंचे लेकिन उन्हें क्वारटाइन सेंटर भेज दिया गया। वे अपने बेटे की तेरहवीं में भी शामिल नहीं हो पाए। रामपुकारा कहते हैं कि अब वे कभी दिल्ली नहीं जाएंगे।