क्या आप भी आज तक सही मूर्ति की नहीं कर रहे थे पूजा, जानें गणेश जी की कौन सी प्रतिमा होती है शुभ

वीडियो डेस्क। गणेश चतुर्थी (22 अगस्त, शनिवार) पर गणेश जी मूर्ति लेते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। गणेश जी की ऐसी मूर्ति घर लानी चाहिए जो शास्त्रों के अनुसार सही हो। यानी पुराणों और ग्रंथों में जैसा गणेश जी का स्वरुप बताया गया है उनकी मूर्ति भी वैसी ही होनी चाहिए। गणेश जी की मूर्ति में जनेउ, रंग, सूंड, वाहन, अस्त्र-शस्त्र, हाथों की संख्या और आकृति जैसी कुछ खास बातों को ध्यान में रखकर खरीदनी चाहिए। 

/ Updated: Aug 21 2020, 01:39 PM IST
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वीडियो डेस्क। गणेश चतुर्थी (22 अगस्त, शनिवार) पर गणेश जी मूर्ति लेते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। गणेश जी की ऐसी मूर्ति घर लानी चाहिए जो शास्त्रों के अनुसार सही हो। यानी पुराणों और ग्रंथों में जैसा गणेश जी का स्वरुप बताया गया है उनकी मूर्ति भी वैसी ही होनी चाहिए। गणेश जी की मूर्ति में जनेउ, रंग, सूंड, वाहन, अस्त्र-शस्त्र, हाथों की संख्या और आकृति जैसी कुछ खास बातों को ध्यान में रखकर खरीदनी चाहिए। 
1- मिट्टी के गणेश जी की मूर्ति घर लानी चाहिए या मिट्टी से खुद बनानी चाहिए। प्लास्टर ऑफ पेरिस या अन्य केमिकल्स के उपयोग से बनी मूर्तियों की पूजा नहीं करनी चाहिए। इसके अलावा सफेद मदार की जड़ से बने गणेश जी की पूजा करना बहुत शुभ माना गया है। वहीं धातुओं में सोना, चांदी या तांबे की मूर्तियों की भी पूजा कर सकते हैं।
2 - बैठे हुए गणेश जी की प्रतिमा लेना शुभ माना गया है। ऐसी मूर्ति की पूजा करने से स्थाई धन लाभ होता है और कामकाज में आने वाली रुकावटें भी खत्म हो जाती हैं।
3 - गणेश जी को वक्रतुंड कहा जाता है। इसलिए उनकी सूंड बांई और मुडी हुई होनी चाहिए। ऐसी प्रतिमा की पूजा करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और संकटों से छुटकारा मिल जाता है।
4 - जिस मूर्ति में गणेश जी के कंधे पर नाग के रुप में जनेउ न हो। ऐसे मूर्ति नहीं लेनी चाहिए।
5 - जिस मूर्ति में गणेश जी का वाहन न हो ऐसे प्रतिमा की पूजा करने से दोष लगता है।
6 - शास्त्रों में गणेश जी को धूम्रवर्ण बताया गया है, यानि गणेश जी का रंग धुएं के समान है। इसलिए गणेश जी की ऐसी मूर्ति की स्थापना करनी चाहिए।
7 - गणेश जी को भालचंद्र भी कहते हैं इसलिए गणेश जी की ऐसी मूर्ति की पूजा करनी चाहिए जिनके भाल यानी ललाट पर चंद्रमा बना हुआ हो।
8 - गणेशजी की ऐसी मूर्ति की स्थापना करनी चाहिए जिसमें उनके हाथों में पाश और अंकुश दोनों हो। शास्त्रों में गणेश जी के ऐसे ही रुप का वर्णन मिलता है।