नवरात्रे के प्रथम दिन कीजिए उस देवी के दर्शन जिनके सामने राजा विक्रम ने 11 बार काटा था अपना शीश
वीडियो डेस्क। नवरात्रि के पावन पर्व शुरु हो गए हैं। 9 दिन तक घर घर में मां की आराधना की जाती है। नवरात्रे के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री के प्रथम दिन आपको माता हरसिद्धि के दर्शन करा रहे हैं। माता हरसिद्धि के देशभर में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। लेकिन उज्जैन में महाकाल क्षेत्र में माता हरसिद्धि का सबसे प्राचीन मंदिर कहा जाता है।
वीडियो डेस्क। नवरात्रि के पावन पर्व शुरु हो गए हैं। 9 दिन तक घर घर में मां की आराधना की जाती है। नवरात्रे के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री के प्रथम दिन आपको माता हरसिद्धि के दर्शन करा रहे हैं। माता हरसिद्धि के देशभर में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। लेकिन उज्जैन में महाकाल क्षेत्र में माता हरसिद्धि का सबसे प्राचीन मंदिर कहा जाता है। जहां राजा विक्रमादित्य ने अपना शीश 11 बार माता के चरणों में समर्पित किया था। कहा जाता है कि हर बार राजा विक्रमादित्य का शीश वापस आया लेकिन 12 वीं बार जब शीश नहीं आया तो वे समझ गए कि इस पृथ्वी पर उनका शासन पूरा हो गया है। राजा विक्रमादित्य ने 135 साल तक यहां शासन किया था। कहा जाता है कि मंदिर के पीछे एक कोने में कुछ सिर सिंदूर चढ़े हुए रखे हैं। इन मस्तक को राजा विक्रमादित्य का ही बताया जाता है। प्रथम दिन कीजिए जगत जननी मां हरसिद्धि के अद्भुत दर्शन।