नवरात्री: 2 शुभ मुहूर्त में करें कलश स्थापना, पूजा विधि में भूलकर भी ना करें गलतियां
वीडियो डेस्क। मां शक्ति की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्रि इस बार 17 अक्टूबर, शनिवार से शुरू हो रही है, जो 25 अक्टूबर, रविवार तक रहेगी। नवरात्रि के पहले दिन माता दुर्गा की प्रतिमा तथा घट की स्थापना की जाती है। इसके बाद ही नवरात्रि उत्सव का प्रारंभ होता है। इससे सुख-समृद्धि और धन लाभ के योग बनते हैं। इस बार अमृत और सर्वार्थ सिद्धि के शुभ योग में घट स्थापना की जाएगी। इस बार मां घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं।
वीडियो डेस्क। मां शक्ति की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्रि इस बार 17 अक्टूबर, शनिवार से शुरू हो रही है, जो 25 अक्टूबर, रविवार तक रहेगी। नवरात्रि के पहले दिन माता दुर्गा की प्रतिमा तथा घट की स्थापना की जाती है। इसके बाद ही नवरात्रि उत्सव का प्रारंभ होता है। इससे सुख-समृद्धि और धन लाभ के योग बनते हैं। इस बार अमृत और सर्वार्थ सिद्धि के शुभ योग में घट स्थापना की जाएगी। इस बार मां घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं।
ये है घट स्थापना की विधि
पवित्र स्थान की मिट्टी से वेदी बनाकर उसमें जौ, गेहूं बोएं। फिर उनके ऊपर तांबे या मिट्टी के कलश की स्थापना करें। कलश के ऊपर माता की मूर्ति या चित्र रखें।
मूर्ति अगर कच्ची मिट्टी से बनी हो और उसके खंडित होने की संभावना हो तो उसके ऊपर उसके ऊपर शीशा लगा दें।
मूर्ति न हो तो कलश पर स्वस्तिक बनाकर दुर्गाजी का चित्र पुस्तक तथा शालिग्राम को विराजित कर भगवान विष्णु की पूजा करें।
नवरात्र व्रत के आरंभ में स्वस्तिक वाचन-शांतिपाठ करके संकल्प करें और सबसे पहले भगवान श्रीगणेश की पूजा कर मातृका, लोकपाल, नवग्रह व वरुण का सविधि पूजन करें। फिर मुख्य मूर्ति की पूजा करें।
दुर्गा देवी की पूजा में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की पूजा और श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ नौ दिनों तक प्रतिदिन करना चाहिए।