दिवाली आते ही छिड़ी ग्रीन पटाखों की बहस, जानें कैसे होते हैं और कैसे करते हैं यूज

वीडियो डेस्क। दिवाली की तैयारियों के साथ साथ हर साल एक बहस भी छिड़ जाती है।  बहस पटाखों की... कहीं पटाखों पर बैन की खबरें तो कहीं उन्हें इजाजत देने की बाद या फिर पर्यावरणविदों का ग्रीन दिवाली का संदेश। पटाखों के जलाने, नुकसान और बचाने के फायदे भी बताए जाते हैं। 

/ Updated: Oct 29 2021, 10:11 AM IST
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वीडियो डेस्क। दिवाली की तैयारियों के साथ साथ हर साल एक बहस भी छिड़ जाती है।  बहस पटाखों की... कहीं पटाखों पर बैन की खबरें तो कहीं उन्हें इजाजत देने की बाद या फिर पर्यावरणविदों का ग्रीन दिवाली का संदेश। पटाखों के जलाने, नुकसान और बचाने के फायदे भी बताए जाते हैं। लेकिन इस सबके बीच बहस छिड़ी है ग्रीन पटाखों की। कई राज्यों में सामान्य पटाखों पर बैन लगाते हुए ग्रीन पटाखों की इजाजत दी है। ऐसे में लोग पूछ रहे हैं कि आखिर ये ग्रीन पटाखे क्या बला हैं?

क्या होते हैं ग्रीन पटाखे?
ग्रीन पटाखों को खास तरह से तैयार किया जाता है और माना जाता है कि इससे प्रदूषण काफी कम होता है। इन पटाखों से 30-40 फीसदी तक प्रदूषण को कम किया जाता है। इन पटाखों में वायु प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले नुकसानदायक कैमिकल नहीं होते हैं। ग्रीन पटाखों के लिए कहा जाता है कि इसमें एल्युमिनियम, बैरियम, पौटेशियम नाइट्रेट और कार्बन का इस्तेमाल नहीं किया जाता या फिर बहुत कम मात्रा में किया जाता है। इससे वायु प्रदूषण को बढ़ने से रोका जा सकता है। ग्रीन पटाखे दिखने में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं और ग्रीन पटाखों की कैटेगरी फुलझड़ी, फ्लॉवर पॉट, स्काईशॉट जैसे सभी तरह के पटाखे मिलते हैं। इन्हें भी माचिस की तरह जलाया जाता है, इसके अलावा इनमें खुशबू और वाटर पटाखे भी जाते हैं, जिन्हें अलग तरह से जलाया जाता है। इन पटाखों से रोशन भी होती है। ये सामान्य पटखों वाला फील देते हैं। बस ये पर्यावरण के अनुकूल होते हैं, साथ ही आपको बता दें कि इन पटाखों को जलाने पर धुआं निकलती है और इसकी मात्रा कम होती है। हालांकि ये पटाखे सामान्य पटाखों से थोड़े महंगे होते हैं। जहां नोर्मल पटाखों के लिए 250 पुये तक खर्च करना पड़ता है वहीं ग्रीन पटाखों के लिए 400 रुपये से ज्यादा खर्च करना पड़ सकता है।