वो संडे जिसका हर कोई करता है इंतजार, जानें आखिर क्यों आती है रविवार की छुट्टी?
वीडियो डेस्क। संडे.... हफ्ते के 6 दिन के बाद वो एक दिन का इंतजार... वो है संडे, ऑफिस की थकान, स्कूल का होमवर्क, बॉस की झिक झिक, ट्रैफिक की पिट पिट से मिलने वाली एक दिन की छुट्टी है संडे... संडे ना हो तो आराम ना हो... फुर्सत से चाय की चुस्की लेने के मजा ना हो।
वीडियो डेस्क। संडे.... हफ्ते के 6 दिन के बाद वो एक दिन का इंतजार... वो है संडे, ऑफिस की थकान, स्कूल का होमवर्क, बॉस की झिक झिक, ट्रैफिक की पिट पिट से मिलने वाली एक दिन की छुट्टी है संडे... संडे ना हो तो आराम ना हो... फुर्सत से चाय की चुस्की लेने के मजा ना हो। लेट तक सोने का बहाना ना हो... लेकिन क्या आप जानते हैं कहां से आया ये संडे... क्यों होती है इतवार की छुट्टी, अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संस्था ISO के मुताबिक, रविवार का दिन सप्ताह का आखिरी दिन माना जाता है और इसी दिन कॉमन छुट्टी रहती है। इसे सप्ताह का आखिरी दिन माने जाने की वजह से स्कूल, कॉलेजो में भी रविवार की ही छुट्टी का ऐलान कर दिया था। संडे की छुट्टी के पीछे कई धार्मिक कारण भी हैं। रोमन कैथलिक और प्रोटेस्टेंट ईसाई रविवार को ईश्वर का दिन मानते हैं और यूरोप समेत ज्यादातर ईसाई देशों में लोग रविवार को चर्च जाते हैं। ईसाई धर्म में मान्यता है कि ईश्वर ने दुनिया को छह दिन में बनाया और रविवार को आराम किया था। इस वजह से रविवार को आराम के दिन के रूप में चुना गया। भारत में 1857 में मजदूरों के नेता मेघाजी लोखंडे ने छुट्टी को लेकर आवाज उठाई और उन्होंने अंग्रेजों से छुट्टी के लिए संघर्ष किया और उनका कहना था कि मजदूरों को एक दिन आराम और देश या समाज के लिए काम करने का दिन मिलना चाहिए। रविवार को अंग्रेज छुट्टी पर रहते थे ऐसे में भारत में भी रविवार का दिन छुट्टी के लिए लोकप्रिय हो गया। बता दें कि वैसे रविवार को साप्ताहिक अवकाश के रूप में मान्यता भारत सरकार द्वारा नहीं दी गई है, बल्कि यह अंग्रेजों के समय से ही चलता आ रहा है।