गंगा दशहरा पर काशी में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, हजारों की संख्या में घाटों पर दिखे भक्त

पतित पावनी गंगा के अवतरण दिवस पर गुरुवार को शिव की नगरी काशी में उत्सव मनाया जा रहा है। गंगा दशहरा के दिन स्नान, दान, जप, तप, व्रत और उपवास आदि करने के लिए काशी में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु उमड़े हैं। अस्सी, दशाश्वमेध से लेकर राजघाट तक हजारों श्रद्धालुओं ने पुण्य स्नान किया। गंगा के इस पार से लेकर उस पार तक मेले जैसा मंजर  है।

/ Updated: Jun 09 2022, 12:42 PM IST

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वाराणसी: पतित पावनी गंगा के अवतरण दिवस पर गुरुवार को शिव की नगरी काशी में उत्सव मनाया जा रहा है। गंगा दशहरा के दिन स्नान, दान, जप, तप, व्रत और उपवास आदि करने के लिए काशी में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु उमड़े हैं। अस्सी, दशाश्वमेध से लेकर राजघाट तक हजारों श्रद्धालुओं ने पुण्य स्नान किया। गंगा के इस पार से लेकर उस पार तक मेले जैसा मंजर  है।

घाटों पर आस्थावानों की भीड़ को देखते हुए सुगम व्यवस्था की गई है। ताकि श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत न हो। हर-हर महादेव के उद्घोष के बीच काशी विश्वनाथ, संकटमोचन, बाबा कालभैरव समेत अन्य मंदिरों में भीड़ उमड़ी है। भीषण गर्मी होने के बाद भी श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं है। घाटों से लेकर मंदिरों और गलियों तक पुलिस मौजूद है।  

आज ही के दिन मां गंगा का हुआ था अवतरण
हस्त नक्षत्र में ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्वाह्न व्यापिनी दशमी तिथि पर ही राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा का स्वर्ग से धरती पर अवतरण हुआ था। यही कारण है कि आज गंगा स्नान का बड़ा महत्व है। आधी रात  के बाद से ही देश के कोने-कोने से स्नानार्थियों की भीड़ गंगा किनारे पहुंचने लगी थी।
दशाश्वमेध घाट समेत अन्य घाटों पर संतों, भक्तों के डेरे जहां-तहां पड़े हुए थे। भोर में ही घंट-घड़ियाल की गूंज के साथ स्नान आरंभ हो गया। गंगा दशहरा पर काशी में दो लाख से अधिक श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने का अनुमान है। 

10 पापों से मिलती है मुक्ति
ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि ज्येष्ठ शुक्ल की दशमी तिथि नौ जून को पूर्वाह्न व्यापिनी दशमी तिथि के दिन ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि, हस्त नक्षत्र, व्यतिपात योग, गरकरण ओर कन्या राशि का चंद्रमा मिल रहा है। बुधवार को अर्द्धरात्रि के पश्चात 3:08 पर लगेगी और नौ जून को मध्यरात्रि के पश्चात 2:26 बजे तक रहेगी।

गा दशहरा के पावन पर्व पर गंगा स्नान करने से दस जन्मों के 10 तरह के पाप से मुक्ति मिलती है। इसमें तीन कायिक, चार वाचिक और तीन मानसिक दोषों का शमन होता है। गंगा दशहरा पर स्नान-दान का कोई समय निर्धारित नहीं है क्योंकि यह तिथि अनुसार चलता है और ब्रह्म मुहूर्त से लेकर सूर्यास्त तक हम सभी को गंगा स्नान, गंगा ध्यान, स्मरण और आचमन कर अपनी पापों की मुक्ति की कामना करनी चाहिए।

गंगा दशहरा पर दशाश्वमेध घाट पर गंगोत्री सेवा समिति की ओर से आज मां भागीरथी का विशेष पूजन करने साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। भोर से ही घाट पर गंगा स्नान कर पुण्य की डुबकी लगाने का क्रम जारी है। गंगोत्री सेवा समिति के संस्थापक अध्यक्ष किशोरी रमण दूबे (बाबू महाराज) ने बताया कि ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर पड़ने वाला गंगा दशहरा का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान कर जरूरतमंदों में दान-पुण्य करने का प्रतिफल कई गुना होता है।

साथ ही गंगा दशहरा पर मां जाह्नवी के विशेष पूजन-अर्चन का विधान भी है। गंगा दशहरा के दिन  सूर्यास्त के बाद मां गंगा का विशेष पूजन अर्चन शुरू किया जाएगा। साथ ही घाट पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन और मां सुरसरि की 11 ब्राह्मणों द्वारा महाआरती की जाएगी। उधर, समिति के संदीप दूबे सोनू ने बताया कि केदारघाट पर भी गंगोत्री सेवा समिति के द्वारा गंगा दशहरा पर मां गंगा की महाआरती और हवन पूजन किया जाएगा।