मुत्तहिद मजलिस ए अमल ने 'दि कश्मीर फाइल्स' का किया विरोध, प्रेसवार्ता के बीच की फ़िल्म पर बैन लगाने की मांग

 मुत्तहिद मजलिस ए अमल सहारनपुर ने कश्मीर फाइल्स फिल्म का विरोध करते हुए इस पर पाबंदी लगाने की मांग की। मौलाना आजाद एजुकेशन बोर्ड कार्यालय स्थित आनंद नगर सहारनपुर में मुत्ताहिदा मजालिस ए अमल सहारनपुर जो कि जनपद सहारनपुर की दीनी व समाजी तंजीमो और मदरसों व स्कूलों कॉलेजों एवं अन्य संगठनों संस्थानों का समन्वय है की ओर से प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया।

/ Updated: Mar 28 2022, 07:00 PM IST

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सहारनपुर: मुत्तहिद मजलिस ए अमल सहारनपुर ने कश्मीर फाइल्स फिल्म का विरोध करते हुए इस पर पाबंदी लगाने की मांग की। मौलाना आजाद एजुकेशन बोर्ड कार्यालय स्थित आनंद नगर सहारनपुर में मुत्ताहिदा मजालिस ए अमल सहारनपुर जो कि जनपद सहारनपुर की दीनी व समाजी तंजीमो और मदरसों व स्कूलों कॉलेजों एवं अन्य संगठनों संस्थानों का समन्वय है की ओर से प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। प्रेस वार्ता में मुत्ताहिदा मजालिस ए अमल के प्रवक्ता पीरज़ादा शेरशाह आजम, मौलाना अब्दुल मालिक मुकेसी जिला अध्यक्ष मिल्ली काउंसिल, मौलाना शाहिद मजाहिरी जिम्मेदार जमय्यत उलमा उत्तर प्रदेश, मौलाना अतहर हक्कानी, काजी नदीम अख्तर, ताजदार खान, एम जमाल असलम, मुफ्ती शरीफ खान, कारी सईद तिडफवी आदि ने भी संबोधित किया।

 शेरशाह आज़म ने बताया कि कश्मीर फाइल्स के ऊपर जो फ़िल्म बनी है। उसके लिए ये प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी गई है। पूरे जिले सहारनपुर का तमाम मज़हबों का जमातों का मदरसों का स्कूलों का कॉलेज का एक संगठन है। राब्ता कमेटी है। इसकी तरफ से आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में हमने यह कहा है और हमारा मुखालफ़ा है कि कश्मीर फाइल यह ऐसी मूवी है जो मुल्क के अंदर इनतेहशाह और नफरत पैदा कर रही है। जिस पर फोरी तौर पर पाबंदी लगनी चाहिए। यहां की हुकूमत यह कहती है कि हकीकत सामने आनी चाहिए। तो फिर हकीकत ए बहुत सारी हैं क्या फायदा है कि पुरानी भूली बिसरी यादों को फिर से उठाया जाए। जो घटनाएं हैं उन पर पूर्ण पत्तियां लगाकर और मनगढ़ंत कहानियां बनाकर लोगों के दरमियान छोड़ दी जाए । तो इस तरह लोगों में जो नई नस्लें हैं। एक दूसरे से नफरत करेंगे। जब नफरत होगी तो झगड़े होंगे फसाद होंगे मोब लिंचिंग होगी और जो हो रहा है यह सारी तारीख को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। यह सीधा पेशनिमा है जो लोग यहां मोब लिंचिंग कर रहे हैं और सांप्रदायिकता को बढ़ा रहे हैं। यहां पर खास नजरिए को जबरदस्ती लोगों पर थोपना चाहते हैं। अमन शांति इस तरह कायम नहीं रह सकती। हम चाहते हैं कि देश के अंदर लोग न बहकाए में आए ना भड़काए में और ना एक दूसरे से नफरत करें बल्कि हजारों साल उस पुरानी तहजीब को अपनाएं जो आपसी भाई चारे की तहज़ीब है जो एक दूसरे के दुख दर्द में खड़े होने की तहजीब है।