काशी में किया गया नव संवत्सर का स्वागत, घाटों पर परंपरागत तरीके से हुआ भगवान सूर्य और मां गंगा का पूजन

वैदिक परंपराओं में चैत्र नवरात्र की शुरुआत के साथ ही नवसंवत्‍सर यानी हिंदू नववर्ष का प्रारंभ हो जाता है। वैदिक रीति रिवाजों और मान्‍यताओं का धर्म नगरी काशी में खूब मान रखा जाता है। इसी कड़ी में नववर्ष के स्‍वागत में गंगा तट पर आस्‍था जहां परवान चढ़ी, वहीं वैदिक परंपराओं के निर्वहन का भी खूब क्रम चला।
 

/ Updated: Apr 02 2022, 12:07 PM IST
Share this Video
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Email

वाराणसी: वैदिक परंपराओं में चैत्र नवरात्र की शुरुआत के साथ ही नवसंवत्‍सर यानी हिंदू नववर्ष का प्रारंभ हो जाता है। वैदिक रीति रिवाजों और मान्‍यताओं का धर्म नगरी काशी में खूब मान रखा जाता है। इसी कड़ी में नववर्ष के स्‍वागत में गंगा तट पर आस्‍था जहां परवान चढ़ी, वहीं वैदिक परंपराओं के निर्वहन का भी खूब क्रम चला। तस्‍वीरों में देखें किस प्रकार नववर्ष का काशी में स्‍वागत किया गया। उगते सूर्य को अर्घ्‍य देने के साथ ही गंगा तट पर वेदपाठी बटुकों ने वैदिक मंत्रोच्‍चार के साथ नववर्ष का स्‍वागत किया। 

इस बीच नए साल पर सनातनी कैलेंडर जारी करने की परंपराओं का निर्वहन किया गया और काशी में पांडित्‍य परंपरा के तहत नए साल का अनोखा पंचांग देश को समर्पित किया गया।  गंगा तट पर सूर्योदय के साथ ही भगवान शिव पर जलाभिषेक करने के साथ ही उदयाचल सूर्य को भी अर्घ्‍य पुजारियों ने दिया। अस्‍सी घाट पर सुबहे बनारस की आरती के दौरान गंगा की पूजा और उदय होते भगवान भास्‍कर का पूजन और नमन कर नववर्ष का स्‍वागत किया गया। मंदिरों और घाटों पर वैदिक रीति रिवाजों के साथ आरती और अनुष्‍ठान के साथ हवन पूजन कर देवों को उनका भोग अर्पित किया गया। गंगा घाटों पर पुण्‍य की डुबकी लगाने के बाद आस्‍थावानों ने मंदिरों का रुख कर देवों के विग्रह को भोग लगाकर शुभ नववर्ष का आशीष लिया।