नवरात्रि के पहले दिन प्राचीन मंदिर में लगी भक्तों की भीड़, जीवन में सुख-शांति के लिए लोगों ने की कामना

यूपी की विश्वनाथ नगरी काशी में शैलपुत्री माता का एक प्राचीन मंदिर है, जहां नवरात्र के पहले दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए पहुंचते है। यहां पहुंचकर लोग अपने परिवार में शांति-सुख की कामना करते है।

/ Updated: Sep 26 2022, 01:44 PM IST
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वाराणसी: नवरात्र का पहला दिन मां शैलपुत्री का होता है। शैलपुत्री हिमालय की पुत्री हैं, लेकिन उन्होंने रहने के लिए भगवान शिव की नगरी काशी को चुना। उत्तर प्रदेश के जिले वाराणसी में वरुणा नदी के किनारे मां शैलपुत्री का प्राचीन मंदिर है। पूरे भारत में ये इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां मां खुद से विराजमान हुईं। जबकि दूसरे शक्तिपीठों में मां की प्रतिमा और पिंडियों के दर्शन होते हैं। मां शैलपुत्री मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि जब माता किसी बात पर भोलेनाथ से नाराज होकर कैलाश से काशी आ गईं, तो कुछ दिनों बाद बाबा उन्हें मनाने यहां आए। उन्होंने देखा कि मां वरुणा नदी के किनारे उनकी तपस्या कर रही थीं। तब महादेव ने उनसे वापस कैलाश चलने का आग्रह किया लेकिन मां को ये जगह इतनी अच्छी लगी कि उन्होंने वापस जाने से मना कर दिया। उन्होंने आगे कहा कि मां ने कैलाश वापस जाने से इनकार किया तो महादेव उनको काशी में अकेला छोड़कर वापस कैलाश चले गए। तब से माता यहीं विराजमान हैं। नवरात्र के दिनों में श्रद्धालुओं की भीड़ दिन-प्रतिदिन बढ़ती जाती है।