यूरोपीय संसद में CAA के खिलाफ प्रस्ताव पेश, 559 सदस्यों के बीच होगी बहस

यूरोपीय संसद में पांच राजनीतिक समूहों द्वारा एक संयुक्त प्रस्ताव में कहा गया है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम भेदभावपूर्ण और खतरनाक रूप से विभाजनकारी है। यह कानून के समक्ष समानता के लिए भारत की प्रतिबद्धता को कमजोर करता है। प्रस्ताव में यह भी जोर देकर कहा गया कि एनआरसी से धार्मिक असहिष्णुता को बढ़ावा मिलेगा और भेदभाव बढ़ेगा।
 

/ Updated: Jan 29 2020, 09:37 PM IST

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यूरोपीय संसद में पांच राजनीतिक समूहों द्वारा एक संयुक्त प्रस्ताव में कहा गया है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम भेदभावपूर्ण और खतरनाक रूप से विभाजनकारी है। यह कानून के समक्ष समानता के लिए भारत की प्रतिबद्धता को कमजोर करता है। प्रस्ताव में यह भी जोर देकर कहा गया कि एनआरसी से धार्मिक असहिष्णुता को बढ़ावा मिलेगा और भेदभाव बढ़ेगा।

इस प्रस्ताव के मसौदे को सेंटर-राइट से लेकर लेफ्ट के पांच राजनीतिक समूहों द्वारा तैयार किया गया है। इन समूहों द्वारा पांच अलग-अलग प्रस्तावों को रखा जाएगा।  इन पांच समूहों में 751 सदस्यीय यूरोपीय संसद के 559 सदस्य शामिल हैं। इस प्रस्ताव पर अब यूरोपीय संसद में बहस होगी और गुरुवार को इस पर मतदान होगा।

संयुक्त प्रस्ताव में भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे का भी उल्लेख किया गया है और कुछ कार्यकर्ताओं के नाम भी शामिल किए गए हैं, जिनमें अखिल गोगोई और सदाफ जाफर हैं। इन्हें सीएए और एनआरसी का विरोध करने के लिए गिरफ्तार किया गया था।

प्रस्ताव में भारत में चारों ओर फैले विरोध प्रदर्शनों का भी उल्लेख किया गया है, खासकर विश्वविद्यालय परिसरों में हो रहे विरोध का। सीएए का विरोध करने पर सुरक्षा बलों द्वारा की गई कार्रवाई में कम से कम 25 लोग मारे गए, 160 घायल हुए और हजारों लोगों को  गिरफ्तार किया गया।