देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कृषि कानून (New Farm Laws) और किसान आंदोलन (Farmers Movemnt) को लेकर कहीं बातों से चूक गए हैं तो यहां इन 10 प्वाइंट्स से समझ सकते हैं।
गुरुनानक देवजी की 552वीं जयंती(Guru Nanak Jayanti 2021) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) ने तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया है। इसके साथ ही किसान आंदोलन और FarmLaws सोशल मीडिया पर ट्रेंड पकड़ गए हैं।
हरियाणा के बहादुरगढ़ से सुबह-सुबह बड़े हादसे की खबर सामने आई है। जहां किसान आंदोलन की 5 महिलाओं को एक ट्रक ने तेज रफ्तार में कुचल दिया। जिसमें तीन की मौके पर ही मौत हो गई, वहीं 2 की हालत गंभीर बनी हुई है।
किसान आंदोलन का हिस्सा रहे इंद्रपाल सिंह का सेलेक्शन UPPCS में हो गया है। इंद्रपाल उत्तर प्रदेश सरकार में असिस्टेंट कमिश्नर बन गए हैं। फिलहाल वह दो साल तक प्रोविजनल पीरियड पर हैं।
केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं सिंघू, टीकरी और गाजीपुर बार्डर पर डेरा डाले हुए हैं।
किसानों के सिंघु बार्डर पर चल रहे आंदोलन को लेकर ट्वीटर पर एक बार फिर ट्रोल शुरू हो गया है। सिंघु बार्डर पर एक युवक का हाथ काटे जाने और उसे लटकाए जाने की घटना के बाद ट्वीटर पर किसान नेता राकेश टिकैत और विपक्ष के नेताओं के खिलाफ जमकर कमेंट किए जा रहे हैं।
लखीमपुर खीरी घटना के बाद पंजाब-हरियाणा में कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसाना का विरोध-प्रदर्शन उग्र हो गया है। शनिवार दोपहर को किसानों ने शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के काफिले पर जूता फेंका।
मां शक्ति की भक्ति का पर्व नवदुर्गा उत्सव(Navratri 2021) 7 अक्टूबर से शुरू होगा। दुर्गा के पंडाल हमेशा से किसी थीम पर तैयार किए जाते हैं। पश्चिम बंगाल में इस बार किसान आंदोलन दिखाया जा रहा है।
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साल नवम्बर से किसान आंदोलित हैं। किसान दिल्ली के विभिन्न बार्डर्स पर साल भर से आंदोलन कर रहे हैं। किसानों के आंदोलन की वजह से विभिन्न रूट्स को डायवर्ट किया जा चुका है।
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में पिछले साल नवम्बर से किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। 40 से ज्यादा किसान संगठन, संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले दिल्ली की सीमाओं डटे हैं। दिल्ली-एनसीआर के बॉर्डर पर जारी धरना प्रदर्शन को साढ़े आठ महीने से भी अधिक बीत चुके हैं।