Covid-19 बिना लक्षण वाले मरीजों के लिए साइलेंट किलर है कोरोना, ऐसे लेता है जान
भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या 7 लाख के करीब है. वहीं, कोविड-19 के बिना लक्षण वाले यानी एसिम्प्टोमैटिक (Asymptomatic) मरीजों के बारे में आम राय है कि इन्हें खतरा बहुत कम होता है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. नेचर मैगजीन में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक, कोरोना वायरस बिना लक्षणों वाले मरीजों में 'साइलेंट किलर' की तरह अटैक करता है. ऐसे मरीजों के फेफड़े धीरे-धीरे खराब होते हैं और निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है. फिर अचानक मरीज की मौत हो जाती है। इस स्टडी में शामिल वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि पहली बार बिना लक्षणों वाले मरीजों के क्लीनिकल पैटर्न से इस तरह की बात सामने आई है। पता चला की इन मरीजों के फेफड़ों को नुकसान हुआ तो इनमें खांसी, सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण नहीं दिखे. ये आमतौर पर कोरोना संक्रमण के लक्षण होते हैं।ऐसे मरीजों की अचानक मौत होने का खतरा भी अधिक है।
वीडियो डेस्क। भारत समेत दुनियाभर में कोरोना वायरस का कहर जारी है. भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या 7 लाख के करीब है. वहीं, कोविड-19 के बिना लक्षण वाले यानी एसिम्प्टोमैटिक (Asymptomatic) मरीजों के बारे में आम राय है कि इन्हें खतरा बहुत कम होता है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. नेचर मैगजीन में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक, कोरोना वायरस बिना लक्षणों वाले मरीजों में 'साइलेंट किलर' की तरह अटैक करता है. ऐसे मरीजों के फेफड़े धीरे-धीरे खराब होते हैं और निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है. फिर अचानक मरीज की मौत हो जाती है। इस स्टडी में शामिल वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि पहली बार बिना लक्षणों वाले मरीजों के क्लीनिकल पैटर्न से इस तरह की बात सामने आई है। पता चला की इन मरीजों के फेफड़ों को नुकसान हुआ तो इनमें खांसी, सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण नहीं दिखे. ये आमतौर पर कोरोना संक्रमण के लक्षण होते हैं।ऐसे मरीजों की अचानक मौत होने का खतरा भी अधिक है।
नसों में खून के थक्के जमने से दूसरे अंगों के फेल होने का खतरा
देशभर से आ रहे डाटा बताते हैं कि ऐसे कोरोना रोगी जिन्हें डायबिटीज, बीपी, हार्ट या किडनी आदि की बीमारी है, लेकिन कोरोना के कोई लक्षण नहीं है अगर उन्हें सांस फूलने की दिक्कत आती है तो उनका ऑक्सीजन लेवल लगातार चेक करने की जरूरत है।
ऐसे मरीजों में ऑक्सीजन का स्तर नीचे आने से अचानक उनकी मौत होने की संभावना बन जाती है, क्योंकि उनके शरीर में छोटे-छोटे खून के थक्के जमा होने लगते हैं, जो कि आर्टरी को ब्लॉक कर देते हैं. इससे दूसरे ऑर्गन फेल हो जाते हैं और देखते ही देखते उनकी मौत हो जाती है। इसे मेडिकल भाषा में हैप्पी हाइपोक्सिया कहते है।