रिसर्च- आखिर कब खत्म होगा कोरोना वायरस, अब इससे लड़ने के लिए एंटीबॉडी टेस्ट को विकसित किया जाए

 देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 46 हजार 541 हो गई है। लॉकडाउन से कब और कितनी रियायत दी जाएगी, ये इस बात पर निर्भर करता है कि एंटीबॉडी टेस्ट की कितनी जरूरत है। अगर हम ये पता कर सकें कि किसी को नए कोरोना वायरस ने संक्रमित किया था और वो ठीक हो चुका है। और अब उसके शरीर में इस वायरस से लड़ने की क्षमता विकसित हो चुकी है। 

/ Updated: May 05 2020, 05:24 PM IST

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वीडियो डेस्क। देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 46 हजार 541 हो गई है। लॉकडाउन से कब और कितनी रियायत दी जाएगी, ये इस बात पर निर्भर करता है कि एंटीबॉडी टेस्ट की कितनी जरूरत है। अगर हम ये पता कर सकें कि किसी को नए कोरोना वायरस ने संक्रमित किया था और वो ठीक हो चुका है। और अब उसके शरीर में इस वायरस से लड़ने की क्षमता विकसित हो चुकी है। तो ऐसे लोगों को दोबारा काम पर जाने की इजाजत दी जा सकती है। इसके लिए पहली शर्त तो ये है कि एक ऐसे एंटीबॉडी टेस्ट को विकसित किया जाए, जो भरोसेमंद हो। क्योंकि हाल ही में भारत में शुरू किए गए एंटीबॉडी टेस्ट को बीच में रोकना पड़ा था। इनके नतीजों पर जानकारों को भरोसा नहीं था। एंटीबॉडी असल में एक प्रोटीन होती है, जो हमारा शरीर किसी संक्रमण के दौरान बनाता है। इससे हमारे शरीर पर हमला करने वाले वायरस, कीटाणु या किसी अन्य रोगी बनाने वाले जीव को निशाना बनाया जाता है। ये एंटीबॉडी उस विषाणु से लिपट कर उसे खत्म कर देते हैं। या फिर हमारे शरीर की इम्यून कोशिकाओं को आदेश देते हैं कि वो इन हमलावर विषाणुओं या कीटाणुओं को खत्म कर दें।किसी भी संक्रमण के बाद हमारे खून में एंटीबॉडी प्रोटीन बची रह जाती हैं। ऐसा इसलिए होता है कि अगर कहीं वो हमलावर वायरस या बैक्टीरिया दोबारा शरीर में आए, तो उसे फिर से खत्म किया जा सके। लेकिन, नए कोरोना वायरस के साथ भी ऐसा हो ये जरूरी नहीं। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन की मारिया वान कर्खोव ने चेतावनी दी थी कि ये वायरस इससे पहले इंसान के शरीर में कभी नहीं रहा था।