दास्तान ए दिल्ली: एक ऐसा युद्ध जिसने कुछ घंटे में ही खत्म कर दिया सल्तनत काल

बाबर को लगता था कि दिल्ली की सल्तनत पर फिर से तैमूरवंशियों का शासन होना चाहिए। बाबर अपने पिता की ओर से तैमूर के वंशज थे और चंगेज खान अपनी मां की तरफ से थे। इधर इब्राहिम लोधी अपने ही परिवार के षडयंत्रों के चलते लगातार कमजोर हो रहा था। 

/ Updated: Jan 03 2020, 05:49 PM IST

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बाबर(1526-1530) 
बाबर को लगता था कि दिल्ली की सल्तनत पर फिर से तैमूरवंशियों का शासन होना चाहिए। बाबर अपने पिता की ओर से तैमूर के वंशज थे और चंगेज खान अपनी मां की तरफ से थे। इधर इब्राहिम लोधी अपने ही परिवार के षडयंत्रों के चलते लगातार कमजोर हो रहा था। सत्ता और जनता के बीच भी सही तरीके से तालमेन नहीं था। बाबर के पास महज 25 हजार लोगों की सेना और इब्राहिम लोधी के पास थी 1 लाख लोगों की सेना। इब्राहिम लोधी को यह भ्रम था कि इतनी छोटी सी सेना उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। पानीपत का पहला युद्ध जिसकी कहानियां हम आज भी सुनते हैं। एक ऐसा युद्ध था जो जहां बारूद और तोपों का प्रयोग किया गया। इस बारूद और तोप के आगे इब्राहिम लोधी की 1 लाख की सेना पस्त हो गई। कहा जाता है कि पानीपत का ये युद्ध कुछ ही घंटों में समाप्त हो गया और उदय हुआ मुगल साम्राज्य का। पानीपत के इस पहले युद्ध के बाद दिल्ली की सत्ता पर बाबर का अधिकार हो गया। 1527 ईं में बाबर ने आगरा के पास खानवा की लड़ाई में मेवार के राणा संगा को हराया और 1529 में उन्होंने घगरा की लड़ाई में दूसरी बार अफगानों को हराया। 1530 ईं में मृत्यु हो गई उसके बाद बाबर का बड़ा पुत्र हुंमायूं गद्दी पर बैठा।
हुंमायूं(1530-1556)
वीयो 2  हुंमायूं बाबर का सबसे बड़ा बेटा था। अपने पिता की मुत्यू के बाद बाबर ने मुगलों की विरासत को संभाला। वो मुगलों का द्वतीय शासक था। हुंमायूं ने लगभग 1 दशक तक राज किया। लेकिन फिर उसे अफगानी शासक शेर शाह सूरी ने पराजित किया। इस लड़ाई में पराजित हुमायूं 15 सालों तक भटकता रहा। लेकिन 1545 ईं में शेरशाह सूरी की मृत्यु हो गई. जिसके बाद हुमायूं ने 1555 ईं में सिकंदर सूरी को पराजित किया। दिल्ली सत्ता फिर एक बार हुंमायूं के हाथ में आ गई हालांकि दूसरी बार हुमायूं तख्त और राजपाठ का सुख नहीं भोग सका। जनवरी 1556 ई को दिल्ली के किले दीनपनाह के शरमंडल नामक पुस्तकालय की सीढ़ी से गिरकर हुमायूं की मौत हो गई। हुमायूं को दिल्ली में ही दफनाया गया। 
अकबर(1556-1605)
वीयो 3  मुगल काल का सबसे महानतम शासक अकबर के बारे में बहुत सी बातें प्रचलित है.... अकबर का जन्‍म तब हुमायूं के निर्वासन के दौरान हुआ था। अकबर की माता का नाम हमीदा बेगम है। अकबर महज 13 साल की उम्र में ही राजगद्दी पर बैठा था। 13 साल की अल्पायु में राज पाठ का ज्ञान नहीं होने की वजह से बैरम खां को अकबर का संरक्षक नियुक्त किया गया। जिसे अकबर ने अपना वजीर नियुक्त किया और खान ए खाना की उपाधि से नवाजा था। 1556 से 1560 तक अकबर ने बैरम खां के संरक्षण में राज्य किया। 1556 ईं में पानीपत की भूमि पर दूसरी लड़ाई हुई। इस युद्ध में अकबर की सेना का मुकाबला सेनापति हेमू से हुआ था। इस युद्ध में हेमू पराजित हुआ और मारा गया। अकबर ने मुगलों के राज्य का विस्तार किया अपनी शक्तियों को और अधिक मजबूत किया। मुगलों में अकबर ही एक मात्र ऐसा शासक था जिसे हिंदू और मुस्लिम दोनों का बराबर प्यार मिला था। अकबर का पूरा नाम बदरुद्दीन मुहम्मद अकबर था। उसका जन्म 15 अक्तूबर 1542 को अमरकोट में हुआ था। भारत में उसका शासन 1556 से 1605 तक रहा। अकबर का दरबार हर समय सभी के लिए खुला रहता था। हिंदू और मुस्लिमों के बीच दूरियों कम हों इसके लिए उसने दीन-ए-इलाही नामक धर्म की स्थापना की। अकबर ने हिन्दुओं पर लगने वाला जज़िया कर भी समाप्त किया था। उसने अनेक युद्ध लड़े और जीते भी.. अकबर ने विजय पाने के बाद भारत के अधिकांश भाग को अपने अधीन कर लिया। उसने राजपूतों के प्रति भी उदारवादी नीति अपनाई। और उनकी राजकुमारियों से विवाह भी किया। अकबर की मृत्यु 1605 ईं में हुई और उसे सिकंदरा में आगरा के बाहर दफनाया गया। तब उसके बेटे जहांगीर ने तख्‍त को संभाला।