जानिए उस दिल्ली के बारे में जब हुकूमत करने के लिए बेटे ने अपने पिता को जीवन भर कैद रखा

मुगलों की दिल्ली के बारे में जिसमें ये कहा जाता है कि आधुनिक दिल्ली अगर आज हर चीज से संपन्न है तो वो दिल्ली को विरासत में मिला है। संगीत, चित्रकला, वास्तुकला, कपड़े और भोजन के मामलों में मुगलों का अहम योगदान है। दिल्ली के लजीज खान पान, रहन सहन और ऐतिहासिक इमारतों में आज भी मुगल इतिहास देखने को मिलता है। 

/ Updated: Jan 04 2020, 05:40 PM IST

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जहांगीर(1605-1627)
वीयो 4 जहांगीर का जन्म आगरा के पास फतेहपुर सीकरी में हुआ था। अकबर की मृत्यु के बाद जहांगीर के सबसे बड़े बेटे खुसरो ने 1606 ई में अपने पिता के विरूद्ध विद्रोह कर दिया था। खुसरो और जहांगीर की सेना के बीच युद्ध जलांधर के पास हुआ और खुसरो को जेल में डाल दिया गया। जहांगीर ने अपने बेटे को सजा देने के लिए उसे मरवाया नहीं बल्कि उसकी आंखे फुड़वा दीं।  जहांगीर ने कई विवाह किए थे। अपने पिता की तरह जहांगीर भी हर धर्म को मानने वाला था। उसे हिंदू धर्म में बेहद रुचि थी। जहांगीर के बेगम नूरजहां बहुत ही बुद्धिमान थी और राजकाज के कामों में हस्तक्षेप भी करती थीं। जहांगीर की सबसे बड़ी उपलब्धि जहांगीर और राणा अमर सिंह के बीच लगभग 18 युद्ध लड़ने के पश्चात की गई संधि थी। ये युद्ध 1605 से 1615 के बीच लड़े गए थे। इतना ही नहीं 1620 ईं में जहांगीर ने कांगड़ा के दुर्ग को भी जीता था। 7 नवंबर 1627 ईं को कश्मीर से लाहौर वापस जाते समय भीमवार नामक स्थान पर जहांगीर की मृत्यु हो गई। जहांगीर के शव को लाहौर के शाहदरा में बहने वाली रावी नदी के तट पर दफनाया गया। 
शाहजहां
वीयो 5  शाहजहां के काल की अकबर के काल से ही तुलना की जाती है। कहा जाता है कि शाहजहां के खुर्रम नाम अकबर ने ही दिया था। जिसका मतलब होता है खुशी। ज़िंदगी भर अनपढ़ रह जाने वाले अकबर ने ख़ुर्रम की तालीम-ओ-इल्म में कोई कोर कसर नहीं रखी। साथ ही जंग लड़ने के सबक कभी सिखाए। अकबर का 15 साल के ख़ुर्रम के लिए लगाव इतना बढ गया था कि वह उसे जंगों पर ले जाने लगा। 36 साल की उम्र में शाहजांह बादशाह बना... उसन इतनी लड़ाइयां लड़ी कि हर तरफ शाहजांह फतह का ही परचम था। शाहजांह ने दीवान ए आम और दीवान ए खास में दरबारियों से मशविरा लेना और लोगों की फरियाद सुनना उसका रोज का काम था। इसी वजह से शाहजांह का काल स्वर्णिम काल कहा जाता है। शाहजांह ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में ताजमहल का निर्माण करवाया था। जो आगरा में स्थित है। सन् 1639 में, उन्होंने अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली स्थानांतरित कर लिया और इस नई राजधानी को शाहजहाँबाद का नाम दिया। शानदार लालकिला, दिल्ली का मशहूर बाजार चांदनी चौक, चावड़ी बाजार शाहजहां की देन है। शाहजहां के 4 बेटे थे, दाराशिकोह, शाहशुजा, औरंगजेब और मुराद बख्श। दारा शिकोह बहुत बुद्धिमान था और हर धर्म को मानता था। शहंशाह दारा को ही अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे लेकिन 1657 ईं में शाहजांह के चारों बेटों में सिंहासन के लिए विद्रोह शुरू हो गया। और 18 जून 1658 में औरंगजेब ने शाहजहां को बंदी बना लिया। 25 अप्रैल 1658 ई में दारा और औरंगजेब के बीच धरमट का युद्ध हुआ. इस युद्ध में दाराशिकोह हार गया। युद्ध में हारने के बाद 1659 ईं में दारा शिकोह की हत्या कर दी गई। शाहजाहं को आगरे के लाल किले में कैद रखा गया था। 8 साल तक शहंशाह इस किले में कैद रहे। 1666 ईं में 74 साल की उम्र में शाहजांह की मृत्यु हो गई। 
औरंगजेब(1658 से 1707)
वीयो  7 कहा जाता है कि औरंगजेब एक क्रूर और अत्याचारी मुगल शासक था। साथ ही कट्टर मुस्लिम भी था। वो भारत को मुस्लिम देश बनाना चाहता था लेकिन कभी कामयाब नहीं हो पाया। उनसे हिंदुओं के कई मंदिरों को तुड़वाकर मस्जिदों का निर्माण भी कराया था। अपने भाई और पिता पर उसने जुल्म ढाए थे इसलिए प्रजा भी उससे खुश नहीं रहती थी। अकबर ने हिंदुओं पर से जो जजिया कर हटाया था ओरंगजेब ने उसे दुबारा बढ़ा कर शुरू कर दिया। औरंगजेब की हकूमत करने का ये तरीका ही मुगल साम्राज्य के पतन का कारण बना। प्रजा पर बढ़ते अत्याचारों की वजह से छत्रपति शिवाजी जैसे बड़े हिंदू शासक उसके दुश्मन बन गए। वहीं 1686 ईसवी में अंग्रजों की ईस्ट इंडिया कंपनी ने भी भारत में अपना अधिकार जमाने के मकसद से औरंगजेब पर हमला किया था। लगातार हुए विद्रोह से ओरंगजेब की शक्ति कम हो गई। और छत्रपति शिवाजी जैसे योद्धा को हराना मुश्किल हो गया। इस दौरान मराठा शासक ने हिन्दुस्तान में मराठा साम्राज्य की नींव रखी। करीब 49 साल के लंबे समय तक शासन करने के बाद औरंगेजब की मृत्यु हो गई। 1707 ईसवी में औरंगजेब ने अपने प्राण त्याग दिए थे। औरंगजेब की मृत्यु के साथ ही मुगल साम्राज्य का पतन हो गया।