6 लाख 60 हजार लोगों को देता है रोजगार, जानें टाटा समूह का इतिहास

भारत की सबसे बड़े समूह टाटा इंडस्ट्रीज की स्थापना 1868 में हुई लेकिन इसकी नींव बहुत पहले ही लिखी जा चुकी थी। आपने ताज होटल का नाम तो सुना ही होगा जी हां वही ताज होटल जो मुम्बई की शान है। 

/ Updated: Dec 20 2019, 12:13 PM IST

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भारत की सबसे बड़े समूह टाटा इंडस्ट्रीज की स्थापना 1868 में हुई लेकिन इसकी नींव बहुत पहले ही लिखी जा चुकी थी। आपने ताज होटल का नाम तो सुना ही होगा जी हां वही ताज होटल जो मुम्बई की शान है। 1903 में स्थापित हुआ ये ताज होटल उस वक्त की ऐसी इमारत थी जिसमें लाइट थी, अमेरिका पंखे थे और जर्मन लिफ्ट थी। इस होटल की नींव रखने वाले थे टाटा समूह के संस्थापक जमशेद जी टाटा।
कहा जाता है कि 18 वीं सदी के अंत में जमशेद जी टाटा मुम्बई के एक मंहगे होटल में गये थे लेकिन उनके रंग के चलते उन्हें होटल से बाहर कर दिया। जिसके बाद उन्होंने ये निर्णय लिया कि वे भारतीयों के लिए शानदार होटल बनाएंगे।
जमशेद जी टाटा के चार सपने थे जिसमें से उन्होंने एक ही सपना पूरा किया था। और वो था होटल बनवाने का। उनके तीन सपने लौह और स्टील कंपनी, वर्ल्डक्लास इंस्टीट्यूशन, हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्लांट का सपना अधूरा रह गया। जिसे पूरा किया उनके बेटे दोराब ने। उनके बेटे दोराब ने इस चुनौती को संभाला और 1907 में टाटा स्टील ने उत्पादन शुरू कर दिया. भारत इस्पात संयंत्र बनाने वाला एशिया का पहला देश बना. उन्होंने बैंगलोर में इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ़ साइंस की स्थापना की ताकि देश के विकास में योगदान देने के लिए इंजीनियर और वैज्ञानिक तैयार हो सकें.
टाटा के कारोबार को संभालने वालों में जेआरडी यानी जहांगीर टाटा का अहम योगदान रहा है. वे 1938 में टाटा समूह के चेयरमैन बने. तब उनकी उम्र महज 34 साल थी और वे आधी शताब्दी तक कंपनी के मुखिया बने रहे. जब सूचना का युग आया तो जेआरडी ने 1968 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विस की स्थापना की, ताकि कंपनी का पेपरवर्क कंप्यूटर के माध्यम से हो सके। आज टीसीएस सबसे मुनाफ़े वाली यूनिट है, जो दुनिया भर में कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की आपूर्ति करती है.
1991 में रतन टाटा समूह के मुखिया बने। रतन टाटा ने टाटा समूह को को हर जगह फैला दिया, चाय से लेकर सूचना तकनीक तक. टाटा भारत का सबसे बड़ा कारोबारी समूह है। ये समूह 6 लाख 60 हजार लोगों को रोजगार देती है। इसका कार्यक्षेत्र अनेक व्यवसायों व व्यवसाय से सम्बंधित सेवाओं के क्षेत्र अभियांत्रिकी, सूचना प्रौद्योगिकी, संचार, वाहन, रासायनिक उद्योग, ऊर्जा, सॉफ्टवेयर, होटल, इस्पात और उपभोक्ता के क्षेत्र में फैला हुआ है।  आपको बता दें कि टाटा समूह का राजस्व 110.7 बिलियन है। टाटा समूह कि कुल 96 कम्पनियां है जो 7 अलग अलग व्यवसायिक क्षेत्रों में सक्रिय हैं। टाटा समूह 6 महाद्वीपों के 40 से भी अधिक देशों में सक्रिय है। इतना ही नहीं टाटा समूह दुनिया के 140 से भी अधिक देशों को उत्पाद और अपनी सेवाएं निर्यात करता है। टाटा समूह का लगभग 66 फीसदी भाग चैरिटेबल ट्रस्ट संभालता है।
18 वीं सदी में जब दूसरे देशों में अपने कर्मचारियों के लिए कोई योजनाएं नहीं थी तब टाटा नें अपने कर्म चारियों के लिए कई योजनाएं लागू कीं, जिसमें से मेन थी पेंशन की व्यवस्था, प्रति दिन आठ घंटे काम करना और मातृत्व सुविधाएं। जमशेद जी टाटा ये मानते थे कि किसी भी कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए समाज के बड़े तबके की जरूरत होती है।
टाटा समूह का मुख्यालय मुंबई में है। वर्तमान में टाटा समूह के अध्यक्ष पद को लेकर जो खींचतान चल रही थी उस पर भी विराम लग गया है। दरअसल रतन टाटा ने 28 दिसम्बर 2012 को सायरस मिस्त्री को टाटा समूह का उत्तराधिकारी नियुक्त किया था। लेकिन धनाढ़्य शापूरजी पलोनजी परिवार से संबंध रखने वाले मिस्त्री को अक्टूबर 2016 में टाटा संस के चेयरमैन पद से हटा दिया गया था। मिस्त्री की जगह एन चंद्रशेखर को एक्जीक्यूटिव चेयरमैन के तौर पर नियुक्त किया गया था। हटाए जाने के दो महीने बाद मिस्त्री के परिवार की दो इनवेस्टमेंट कंपनियों ने एनसीएलटी की मुंबई बेंच में अपील दायर की थी। इसमें कहा गया था कि मिस्त्री को हटाने का फैसला कंपनीज एक्ट के नियमों के विपरीत था।
टाटा समूह से लड़ाई में साइरस मिस्त्री को बुधवार को जीत मिली। राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने मिस्त्री को टाटा संस का कार्यकारी चेयरमैन बहाल करने का आदेश दिया। साथ ही न्यायाधिकरण ने मिस्त्री की जगह कार्यकारी चेयरमैन पद पर एन चंद्रशेखरन की नियुक्ति को अवैध ठहराया है। न्यायाधीश एस. जे. मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि बहाली आदेश चार सप्ताह बाद प्रभावी होगा।