निर्भया के दरिंदों की मौत की डेट फिक्स, लेकिन मिला एक चांस, क्या होता है क्यूरेटिव पिटीशन और डेथ वारंट

देश के वीभत्स दुष्कर्म कांड के आरोपी को 22 जनवरी को फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा। सात साल बाद निर्भया को न्याय मिला है। कोर्ट ने फांसा का दिन 22 जनवरी और समय सुबह 7 बजे मुकर्रर किया है। 

/ Updated: Jan 07 2020, 07:32 PM IST

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वीडियो डेस्क। देश के वीभत्स दुष्कर्म कांड के आरोपी को 22 जनवरी को फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा। सात साल बाद निर्भया को न्याय मिला है। कोर्ट ने फांसा का दिन 22 जनवरी और समय सुबह 7 बजे मुकर्रर किया है। पटियाला कोर्ट ने डेथ वारंट जारी किया है। ऐसे में इन दोषियों के पास 14 दिन का समय है। ऐसे में क्यूरेटिव पिटीशन ये आरोपी दाखिल कर सकते हैं। क्या होता है क्यूरेटिव पिटीशन, डेथ वारंट क्या होता है और 14 दिन का समय आखिर क्यों दिया गया है। इन सब सवालों के दिए हैं पूर्व शासकीय अधिवक्ता प्रशांत हरने जी ने। 
क्या होता है डेथ वारंट?
डेथ वारंट को ही ब्लैक वारंट कहते हैं। इस वारंट में दोषियों का पूरा विश्लेषण होता है। किसी मामले में दोषी है सजा किस मामले में कौन कौन सी धाराएं लगाई गईं है। 
क्या होती है क्यूरेटिव पिटीशन?
क्यूरेटिव पिटीशन दोषी अपने बचाव के लिए लगा सकते हैं। दोषियों के पास एक मौका है क्यूरेटिव पिटीशन लगा सकते हैं। लेकिन इसके लिए कोई आधार होना चाहिए। जिस पर सुप्रीम कोर्ट कोई फैसला सुनाए।