इस तरह से ॐ नमः शिवाय का जाप होगा अधिक फलदायी, काशी हिंदू विवि के प्रोफेसर ने बताई क्या है इसकी मान्यता

सावन की शुरुआत के साथ ही शिवभक्तों का उत्साह देखने लायक है। इस बीच काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने ॐ नमः शिवाय मंत्र के जप को लेकर तमाम खास बातों के बारे में बताया। 

/ Updated: Jul 14 2022, 01:06 PM IST

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सावन की शुरुआत के साथ-साथ तमाम मंदिरों और शिवालयों में शिव भक्तों की भीड़ उमड़ी है। भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तमाम प्रकार के पूजा-पाठ और मंत्रों का जप करते हैं। इन्हीं मंत्रों के बीच भगवान शिव का सर्वप्रिय सर्वमान्य पंचाक्षर मंत्र के के बारे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर ने बताया कि 'ॐ नमः शिवाय',जो प्रारंभ में ॐ के संयोग से षडाक्षर हो जाता है, भगवान शिव को शीघ्र ही प्रसन्न कर देता है। हृदय में 'ॐ नमः शिवाय' का मंत्र समाहित होने पर संपूर्ण शास्त्र ज्ञान एवं शुभ कार्यों का ज्ञान स्वयं ही प्राप्त हो जाता है।
इस मंत्र का जाप प्रत्येक दिन रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए। ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप कम से कम 108 बार प्रत्येक दिन करना चाहिए। जप हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए। यदि आप किसी पवित्र नदी के किनारे शिव लिंग की स्थापना और पूजन के बाद जप करेंगे उसका फल सबसे उत्तम होगा। प्रात: स्नानदि से निवृत्त होने के पश्चात पूजाघर में भगवान शिव के समक्ष धूप-दीपक प्रज्वलित करें। तत्पश्चात शिव जी की तस्वीर या प्रतिमा के सम्मुख बैठकर रुद्राक्ष की माला से "ॐ नम: शिवाय" का जाप करें।