लखनऊ की गलियों में घूम रहा चीता, कैमरे में कैद हुईं तस्वीरें, देखें वीडियो

लखनऊ के गुडम्बा थाना क्षेत्र में शनिवार को तकरीबन चार बजे के करीब कई जगहों पर कालोनियों में तेंदुआ टहलता देखा गया। कड़ाके की ठंड में जब लोग अपने घरों में सो रहे थे तब तेंदुआ गायत्रीपुरम, कुर्सी रोड पहाड़पुर चौराहे के पास समेत कई अन्य इलाकों में चहलकदमी कर रहा था। 

/ Updated: Dec 25 2021, 07:54 PM IST

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लखनऊ: राजधानी लखनऊ के गुडम्बा थाना क्षेत्र में शनिवार को तकरीबन चार बजे के करीब कई जगहों पर कालोनियों में तेंदुआ टहलता देखा गया। कड़ाके की ठंड में जब लोग अपने घरों में सो रहे थे, तब तेंदुआ गायत्रीपुरम, कुर्सी रोड पहाड़पुर चौराहे के पास समेत कई अन्य इलाकों में चहलकदमी कर रहा था। एक महिला ने उसे कालोनी में टहलते हुए देखा। इतना ही नहीं कई जगहों पर तेंदुए की तस्वीर सीसी कैमरे में कैद हो गई। तेंदुआ सीसी कैमरे में चहलकदमी करते देखा जा सकता है। इससे इलाके के लोग दहशत में आ गए हैं।

इस संदर्भ में वन्य जीव जंतु विशेषज्ञ आशीष त्रिपाठी बताते हैं यह चीते से मिलता जुलता प्रजाति का जानवर होता है और बेहद चालक किस्म का जानवर होता है। दिन के समय यह घने पेड़ों पर चढ़ कर आराम फरमाता है और रात के समय पेड़ से अपने शिकार की तलाश में उतरता है। जंगल मे रहने वाला यह माँसाहारी जानवर रात भर अपने शिकार की तलाश करता है। तेंदुआ इंसानों पर हमला कम करता है लेकिन इंसानों के छोटे छोटे बच्चों व बकरी व गाय के बछड़ों का शिकार करता है।

वन्यजीव जंतु विशेषज्ञ आशीष त्रिपाठी बताते हैं कि ये जंगली जानवर होता है और यह रिहायशी इलाको में कम ही आते हैं लेकिन अब मैन एंड एनिमल के कनफ्लिक मतलब ये आदमी और जानवरों के बीच का द्वंद है।जब इंसान इनके प्रवासी क्षेत्रों में अपना आशियाना बनाता जा रहा है,इंसान इनके जंगल मतलब जहां यह रहते हैं उन वनों को काटता जा रहा है।तो फिर इनकी मजबूरी बन जाती है कि ये मजबूरी में रिहायशी इलाके में प्रवेश करें।इन्सानों के द्वारा इनके जंगल काटने से इनके शिकार भी कम होने लगे हैं।इंसानों के इनके प्रवासी स्थानों पर कब्जा करने से ये मजबूरी में रिहायशी इलाके की तरफ अपने शिकार की तलाश में आ जाते हैं।शहरों में ये इंसान के बच्चे,बकरी के बच्चे व गाय व भैंस के बच्चों का ही शिकार करने आते हैं।जबकि तेंदुआ का मकसद किसी की हत्या करना नही है लेकिन वह अपने पेट की भूख को शांत करने के लिये शहरों की तरफ अपना मजबूरी में करते हैं।