काशी के इस म्यूजियम में है प्राचीन वाद्ययंत्रों का संग्रह, पैर से बजने वाले इन इंस्ट्रूमेंट में जानिए क्या है

उत्तर प्रदेश की बाबा विश्वनाथ नगरी काशी में प्राचीन वाद्ययंत्रों का संग्रह है। जहां भारतीय और विदेशी यंत्रों का समूह रखा है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संगीत एवं मंच कला संकाय में एक ऐसा वाद्ययंत्रों का म्यूजियम है, जहां आपको कई दशक पुरानी सारंगी और तानपुरा देखने को मिलेगी। 

/ Updated: Jun 18 2022, 06:02 PM IST

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वाराणसी: उत्तर प्रदेश के जिले वाराणसी में स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संगीत एवं मंच कला संकाय में एक ऐसा वाद्ययंत्रों का म्यूजियम है, जहां आपको कई दशक पुरानी सारंगी और तानपुरा देखने को मिलेगी। यहां पैर से चलने वाला हारमोनियम, झुनझुना, मंजीरा, झाझ, पखावज, तबले, तुड़तड़ा, शहनाई जैसे तमाम भरतीय और विदेश वाद्ययंत्रों का संग्रह है। इस म्यूजियम का नाम संगीतेंगु पंडित लाल मणि मिश्र वाद्य संग्रहालय है। इस म्यूजियम में क्या कुछ खास है आइए देखते है हमारे संवाददाता अनुज तिवारी की खास रिपोर्ट। आपको बता दें कि वाद्य संग्रहालय में भारतीय व पाश्चात्य शैली के अलावा प्राचीन वाद्ययंत्रों को संरक्षित किया गया है। इस संग्रहालय में कुछ ऐसे वाद्ययंत्र भी हैं जो कहीं और उपलब्ध नहीं हैं। ऐसा कहा जाता है कि पं. लालमणि मिश्र की कल्पना थी कि यहां एक वाद्य का म्यूजियम बनना चाहिए। दिलचस्प बात यहा है कि यह सभी वाद्ययंत्र 40 सालों तक एक कमरे में पड़े हुए थे। इसका उद्घाटन साल 2018 में हुआ था।