पहली बार बनी ये बर्फी तो उड़ गए थे अंग्रेजों के होश, तिरंगा लेकर चलने पर लगी रोक के बाद ऐसे किया गया था परेशान

बनारस की तिरंगा भर्ती ने किसी समय अंग्रेजी हुकूमतों के होश उड़ाकर रख दिए थे। देश की आजादी में इस बर्फी का भी अहम योगदान था। 

/ Updated: Aug 13 2022, 01:07 PM IST

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वाराणसी: देश अमृत महोत्सव मना रहा है। देश को आजाद कराने में तमाम महापुरुषों राजनेताओं ने अपना योगदान दिया। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताएंगे जिसने स्वतंत्रता सेनानियों के साथ बनारस के मिठाइयों का भी अहम योगदान रहा है। बनारस की तिरंगा बर्फी देश के आजादी से पहले वीर सपूतों में देशभक्ति की भावना जगाती थी। इतना ही नहीं बनारस में जब पहली बार तिरंगा बर्फी बनाई गई तो इस देख अंग्रेजी हुकूमतों के होश उड़ गए थे। 1940 में बनारस के ठठेरी बाजार में स्थित मिठाई की मशहूर दुकान ‘श्री राम भंडार’ के संचालक रघुनाथ दास ने इस बर्फी को तैयार किया था।
तिरंगा बर्फी जिस वक्त तैयार हुई थी उस वक्त अंग्रेजी हुकूमतों ने देश मे तिरंगा लेकर चलने ओर रोक लगा रखी थी। ऐसे में स्वतंत्रता सेनानी इस बर्फी को हाथ में लेकर चलते थे. अंग्रेजी हुकूमतों को परेशान करने के लिए इस मिठाई को फ्री में बांटा जाता था। आज भी तिरंगा बर्फी जब बनारस के इस गली में बनता है तो लोग दूर-दराज से इस तिरंगा बर्फी को लेने आते हैं देश की स्वतंत्रता की भावना के साथ लोग आज भी तिरंगा बर्फी को खरीदते हैं और एक दूसरे को तिरंगा बर्फी बाट कर देश की आजादी का जश्न मनाते हैं।