टॉयलेट में रहने को मजबूर दादी और पोती, ना घर-ना पैसे, रिश्वतखोरों ने भी उठाया गरीबी का फायदा

वीडियो डेस्क। बिहार के नालंदा की ये तस्वीर झकझोर देगी। विकास के हर भ्रम को तोड़ देगी। नेताओं के दावे और वादों की पोल खोल देगी। देश की सबसे बड़ी पार्टी के नेता विकास के दावों का दम भरते हैं वहीं उसी भारत की ये तस्वीर कई सवाल खड़े करती है। ये बूढ़ी दादी और उसकी 10 साल की पोती है। 

/ Updated: Jun 10 2021, 06:28 PM IST

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वीडियो डेस्क। बिहार के नालंदा की ये तस्वीर झकझोर देगी। विकास के हर भ्रम को तोड़ देगी। नेताओं के दावे और वादों की पोल खोल देगी। देश की सबसे बड़ी पार्टी के नेता विकास के दावों का दम भरते हैं वहीं उसी भारत की ये तस्वीर कई सवाल खड़े करती है। ये बूढ़ी दादी और उसकी 10 साल की पोती है। शरीर बूढ़ा और आंखें थकी हुई हैं। 8 साल की पोती के सिर से माता पिता का साया बहुत पहले ही उठ चुका है। पोती का सहारा उसकी 75 साल की बूढ़ी दादी ही है। लेकिन इनके पास ना रहने को घर है, ना खाने को एक दाना है। घर में कोई कमाने वाला भी नहीं है। आलम ये है कि झुलसाने वाली गर्मी में ये दादी पोती सरकारी शौचालय में जीवन गुजारने को मजूबर हैं। भीख मांगकर खाने को मजूबर हैं। सिसकती हुई कौशल्या देवी की ये तस्वीर नीतीश कुमार के ग्रह जिले नालंदा जिले के करायपरसुराय प्रखंड की है।बेटा और बहू के मौत के बाद किस्मत ने तो खेल खेला ही लेकिन गांव के किसी मुखिया, किसी सरपंच, किसी विधायक.. किसी नेता को इन दादी पोती पर तरस नहीं आया। किसी ने भी इनकी मदद नहीं की। ना किसी सरकारी योजना लाभ दिलवाया। दर दर भटकती हुई दोनों दादी और पोती ने धूप और बारिश से बचने के लिए शौचालय को आशियाना बनाया हुआ है।  आशियाना और दो वक्त की रोटी तो छोड़िए हद तो तब हो गई रिश्वत नहीं देने पर कौशल्या देवी की नाम आवास योजना से काट दिया। 2017 में आवास योजना में कौशल्या देवी का नाम आया था। लेकिन तत्कालीन आवास पर्यवेक्षेक ने ये लाभ दिलाने के लिए पैसों की डिमांड की। गरीब और असहाय दादी जब उनकी जेबे नहीं भरपाई तो शुद्धिकरण के नाम पर योजना से नाम काट दिया। नेताओं के भाषणों के सुनकर आपको हमेंशा लगा होगा कि देश में सब ऑल इस वेल है। लेकिन ये तस्वीर हर स्थिती को बयां कर रही हैं।