India@75: जानें क्या है भारतीय तिरंगे झंडे का विकासवादी इतिहास
सन 1907 में... जहां स्वदेशी आंदोलन के दौरान पहला राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था। इसे कलकत्ता के पारसी बागान स्क्वायर में फहराया गया था। ध्वज में हरे, पीले और लाल रंगों के साथ तीन क्षैतिज बैंड थे।
भारतीय तिरंगा देश की आन बान और शान है। इस भारतीय तिरंगे का भी एक विकासवादी इतिहास है। आजादी के अमृत महोत्सव की इस कड़ी में आज भारत के तिरंगे की। हरा केसरिया और सफेद ये तीन रंग प्रतीक हैं भारत के गौरव गाथा के। कुछ समय पीछे चलते हैं। सन 1907 में... जहां स्वदेशी आंदोलन के दौरान पहला राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था। इसे कलकत्ता के पारसी बागान स्क्वायर में फहराया गया था। ध्वज में हरे, पीले और लाल रंगों के साथ तीन क्षैतिज बैंड थे। वंदेमातरम सफेद रंग के बीच की पट्टी में देवनागरी में लिखा गया था। आठ भारतीय प्रांतों का प्रतिनिधित्व करने वाले शीर्ष हरे रंग पर आठ कमल के फूल खुदे हुए थे। सबसे नीचे लाल पट्टी में सूर्य का हिंदू प्रतीक और अर्धचंद्र का इस्लामी प्रतीक था। वहीं 1907 में ही पहली बार किसी विदेशी देश में भारतीय ध्वज फहराया गया था। यह जर्मनी के स्टटगार्ट में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में था। प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता सेनानी मैडम कामा ने झंडा फहराया जिसमें आठ के बजाय केवल एक कमल था और इसमें सप्तर्षि नक्षत्र को दर्शाने वाले सात तारे भी थे। लेकिन तिरंगा भारत देश का प्रतीक कैसे बना आइये जानते हैं।