India@75: भारतीय क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त, जो आजादी के बाद भी जिंदा रहे

बटुकेश्वर दत्त का जन्म 1910 में पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले में हुआ था। वह कानपुर में पढ़ाई के दौरान भगत सिंह के HSRA में शामिल हो गए थे। वह बम बनाने में माहिर हो गए थे। जानिए आजादी की लड़ाई लड़ने वाले क्रांतिकारी की कहानी 

/ Updated: Jul 27 2022, 06:19 PM IST

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कहानी आजादी की लड़ाई में अपना योगादन देने वाले क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त की। वो क्रांतिकारी जिन्होंने लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए दिल्ली असेंबली पर बम फेंका था। और इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाते रहे। 8 अप्रैल 1929 का दिन था। दिल्ली की सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली में स्वराज पार्टी के संस्थापक और सरदार पटेल के भाई विट्ठलभाई पटेल मौजूद थे। जैसे ही वे सार्वजनिक सुरक्षा के मुद्दे पर कुछ बोलने के लिए उठे, एक बड़ा विस्फोट हो गया और पूरी असेंबली हिल गई। सभा के बीच में ही दो बम फट गए थे। हर तरफ आग और धुंआ था। दो ब्रिटिश लोग भी घायल हो गए। बम फेंकने वाले दो युवक धुएं से भरे दर्शक दीर्घा में खड़े होकर इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे। जानिए क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त की कहानी।