झारखंड: ना कुंआ, ना तालाब ना कोई सरकारी व्यवस्था, गंदा पानी पी रहे लोग... राम भरोसे जिंदगी

झारखंड के इस गांव के ग्रामीणों ने अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा कि दशकों पूर्व यहां चापाकल लगाया गया था। कुछ वर्ष चलने के बाद एक-एक कर चापाकल खराब होते चले गए। अब तो पाइप तक सड़ चुका है। सरका सुनती नहीं है 

/ Updated: Aug 04 2022, 05:43 PM IST

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वीडियो डेस्क।   झारखंड में एक ओर जहां हर घर नल का जल योजना चलाई जा रही है वहीं कुछ जगह ऐसी भी हैं जहां नल तो छोड़िए पीने के पानी के लिए कुंआ या तालाब की भी व्यवस्था नहीं है। झारखंड की उपराजधानी दुमका जिले के टांयजोड़ पंचायत में पानी की भीषण किल्लत है। टांयजोड़ पंचायत के दुवरिया गांव की हालात इतनी दयनीय है कि किसी को भी ग्रामीणों पर तरस आ जाए। लोगों को गांव से करीब एक किमी दूर नदी और डोभा से पानी ढोकर लाना पड़ता है। गोपीकांदर प्रखंड मुख्यालय से महज 5 किमी की दूरी पर एक पहाड़ी पर बसा यह गांव आदिवासी एव आदिम जनजाति पहाड़िया बहुल है। तीन टोला के इस गांव में करीब सौ से कुछ अधिक घर हैं। 

ग्रामीणों ने अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा कि दशकों पूर्व यहां चापाकल लगाया गया था। कुछ वर्ष चलने के बाद एक-एक कर चापाकल खराब होते चले गए। अब तो पाइप तक सड़ चुका है। गाडा टोला में आंगनबाड़ी केंद्र परिसर में पानी टंकी भी लगा था। वह भी करीब एक वर्ष से खराब है।  पानी की समस्या को लेकर कई बार मुखिया से शिकायत कर चुके हैं। लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। ऐसी स्थिति में गांव के लोग प्रदूषित पानी पीने को मजबूर है। इन जल स्रोतों का पानी पीने के लायक नहीं है, लेकिन लोग इसे कपड़ा से छान कर इसे पीने को मजबूर है।